<![CDATA[सरकार शेयर मार्केट में काला धन लगाने बालो पर करवाई करने जा रही है। अगर किसी ने शेयर मार्केट में एक साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट किया है तो उसको इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिल सकता है। उसको इस इन्वेस्टमेंट की पूरी जानकारी देनी होगी। जानकारी सही न होने पर उसके खिलाफ ब्लैक मनी कानून के तहत कार्रवाई होगी। दरअसल, मोदी सरकार की स्टॉक मार्केट के जरिए ब्लैकमनी खपाने वालों पर नजर हैं। अब इनकम टैक्स विभाग की रेडार पर वे लोग हैं, जिन्होंने एक साल के भीतर शेयर मार्केट में 10 लाख रुपये से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट किया है। इनकम टैक्स विभाग ने ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की है, जो कि स्टॉक मार्केट के जरिए 10 लाख रुपये से ज्यादा का लेनदेन एक साल के अंदर कर रहे हैं। इनकम टैक्स विभाग ने यह लिस्ट कंपनियों और बीएसई से प्राप्त निवेश के ब्यौरा से तैयार की है। इन लोगों की आमदनी और इन्वेस्टमेंट जांच होगी। कोई भी गड़बड़ी पाए जाने पर तुरंत कार्रवाई होगी। अब होगी कार्रवाई इनकम टैक्स विभाग अब इस बात की जांच करेगा कि जिन लोगों ने शेयर मार्केट एक साल 10 लाख रुपये से ज्यादा इन्वेस्टमेंट किया, क्या उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न भरा है। अगर भरा है तो क्या उनकी आमदनी और इन्वेस्टमेंट राशि मेल खाती है। क्या उस रिटर्न में शेयर मार्केट में हुए इन्वेस्टमेंट का ब्यौरा दिया गया है। इनकम टैक्स विभाग के उच्चाधारियों का कहना कि अगर जांच में अगर यह पाया गया कि शेयर मार्केट में एक साल में 10 लाख रुपये निवेश करने वाले व्यक्ति ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है या इस पर टैक्स नहीं दिया है तो विभाग उस व्यक्ति को नोटिस देकर इनकम के बारे में पूछताछ करेगा। सही जानकारी न मिलने पर उस व्यक्ति के खिलाफ टैक्स चोरी और ब्लैक मनी कानून के तहत कार्रवाई होगी। ब्लैक मनी खपाने का शक मोदी सरकार को इस बात का शक है कि बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड और बायबैक के जरिए ब्लैक मनी खपा रहे हैं। ऐसे लोगों पर ऐक्शन के लिए कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सभी कंपनियों को अडवाइजरी जारी की थी। इसके आधार पर कंपनियों को 10 लाख रुपए से ज्यादा के शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने वालों की लिस्ट इनकम टैक्स विभाग को ऑनलाइन अपडेट करनी थी। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने कंपनियों से कहा था कि ऐसे व्यक्तियों का ब्यौरा दिया जाए, जिन लोगों ने एक वित्त वर्ष में 10 लाख या उससे ज्यादा के बॉन्ड या डिबेंचर खरीदे हैं। हालांकि, इसके तहत रिन्यूअल के जरिए मिले अमाउंट को नहीं शामिल किया गया है। इसी तरह किसी व्यक्ति ने एक वित्त वर्ष में 10 लाख या उससे ज्यादा के शेयर खरीदे हैं। ओपेन मार्केट के अलावा अगर किसी व्यक्ति ने एक वित्त वर्ष में 10 लाख या उससे ज्यादा के शेयर बाय बैक के जरिए खरीदे हैं, उसके नाम मंत्रालय को दिए जाएं। इसके अलावा मंत्रालय ने ऐसे लोगों के आंकड़ें बीएसई और एनएसई से भी प्राप्त किए हैं। अब एसे लोगो के खिलाफ करवाई होगी जो काला धन को मार्केट में खफा कर उसको सफेद दिखा रहे है।]]>