<![CDATA[कर बचत के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत ईएलएसएस में डेढ़ लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है। 1. ELSS या टैक्स सेविंग्स स्कीमें क्या होती हैं? इनमें कितना निवेश किया जा सकता है? ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम में निवेश करने पर टैक्स में छूट मिलती है। ये फंड्स इक्विटीज में निवेश करते हैं और निवेशकों को इनमें ग्रोथ या डिविडेंड ऑप्शन चुनने का मौका मिलता है। कर बचत के लिए इनमें डेढ़ लाख रुपये तक लगाए जा सकते हैं। ऐसी स्कीमों में आनेवाला पैसा इक्विटीज में लगाया जाता है इसलिए उनसे लॉन्ग टर्म में ज्यादा रिटर्न कमाने का मौका मिलता है। लेकिन जैसा कि हर म्यूचुअल फंड में होता है, इसमें भी फिक्स्ड रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है। 2. ईएलएसएस में किस तरह निवेश किया जा सकता है? इनवेस्टर का केवाईसी जैसे ही पूरा हो जाता है, वैसे ही वह किसी दूसरे म्यूचुअल फंड स्कीम की तरह ही ईएलएसएस में निवेश कर सकता है। इनवेस्टमेंट करने के लिए फॉर्म भरना होगा और एक चेक इश्यू करना होगा। यह काम आप फंड हाउसेज की वेबसाइट्स या ऑनलाइन पोर्टल्स के जरिए कर सकते हैं। इनमें SIP या STP के जरिए भी निवेश किया जा सकता है। 3. सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बचत वाली स्कीमों से ELSS कितना लाभ्ा ? टैक्स सेविंग्स स्कीमों में ईएलएसएस का 3 साल का लॉक इन पीरियड सबसे कम है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड का मिनिमम लॉक इन 15 साल का है। इससे पहले इनसे आंशिक निकासी की जा सकती है। एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड आमतौर पर एंप्लॉयमेंट पीरियड तक लॉक्ड होता है। दूसरे टैक्स सेविंग प्रॉडक्ट्स जैसे टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिफॉजिट या नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) का लॉक इन पीरियड पांच साल या ज्यादा का होता है। नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) तो सब्सक्राइबर के 60 साल पूरा होने तक लॉक हो जाती है और उससे पहले NPS से सिर्फ आंशिक निकासी की जा सकती है। अगर आप ELSS में डिविडेंड ऑप्शन चुनते हैं तो आपको लगातार कैश फ्लो हासिल होता रहेगा। अंतिम प्वाइंट यह है कि ईएलएसएस के डिविडेंड ऑप्शन या यूनिट्स के रिडेम्पशन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। 4. तीन साल के लॉकइन के बाद निवेशक के पास क्या ऑप्शंस होंगे? तीन साल के लॉकइन के बाद इनवेस्टर्स के पास ELSS की यूनिट्स रखने या रिडीम करने का ऑप्शन होता है। फाइनेंशियल प्लानर्स ELSS को इक्विटी एलोकेशन हिस्सा बनाने और टारगेट के हिसाब से परफॉर्मेंस मिलने पर इनमें बने रहने की सलाह देते हैं क्योंकि इनसे निवेशकों को उनके वित्तीय उद्देश्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है]]>