<![CDATA[वित्त मंत्रालय के तहत फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) ने करीब 9500 नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) की सूची जारी की है जिन्हें उच्च जोखिम वित्तीय संस्थानों की श्रेणी में रखा गया है। यह जानकारी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए सामने आई है। एफआईयू इंडिया ने इस सूची को अपनी वेबसाइट पर जारी किया है जहां पर एनबीएफसी के नाम बताए गए हैं। इन एनबीएफसी को उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा है और इन्हें 31 जनवरी तक प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का अनुपालन न करते हुए पाया गया गया है। 8 नवंबर 2016 को देशभर में लागू हुई नोटबंदी के बाद से ही एनबीएफसी और कई ग्रामीण व शहरी को-ऑपोरेटिव बैंक आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जांच के दायरे में हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने गैर कानूनी तरीके से अघोषित आय वाले लोगों की बैन की गई करेंसी को बदला है। इनमें से अधिकांश एनबीएफसी और को-ऑपरेटिव बैंकों को जमा राशि के रूप में नकदी लेकर बैन की गई करेंसी को बदलते हुए पाया है। साथ ही आरबीआई की ओर से इस तरह से जमा लेने से इनकार करने के बावजूद बैंक डेट में फिक्स्ड डिपॉजिट और चेक जारी करते हुए भी पाया है। पीएमएलए के तहत सभी एनबीएफसी के लिए वित्तीय संस्थानों में प्रिंसिपल ऑफिसर की नियुक्ति जरूरी है और 10 लाख रुपये या इससे अधिक के संदिग्ध नकद लेनदेन के बारे में एफआईयू को सूचित करना अनिवार्य है। पीएमएलए के सेक्शन 12 के तहत हर रिपोर्टिंग एंटिटी को सभी लेनदेन का रिकॉर्ड रखना और अपने क्लाइंट्स व लाभकारी मालिकों की प्रारूप के तहत पहचान का सत्यापन एफआईयू को करना अनिवार्य है। इन संस्थाओं को भी पांच वर्ष के लिए लेनदेन और ग्राहकों की पहचान के रिकॉर्ड को संरक्षित करने की आवश्यकता है।]]>