<![CDATA[वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण से कई आशंकाएं सच निकलीं। इस सर्वेक्षण को लेकर लोगों में थोड़ी उत्सुकता थी। वे नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की ठोस जानकारी चाहते थे। अभी तक सत्ता और विपक्ष इसे लेकर अपनी-अपनी तरह से दावे कर रहे थे। पर अब साफ हो गया कि नोटबंदी ने इकॉनमी के कई स्तंभों पर गहरा असर डाला है। सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि नोटबंदी का विपरीत असर हुआ है, मगर उसका यह भी कहना है कि भविष्य में इसका इकॉनमी पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। कैश की दिक्कत खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल हो जाएगी। कैसे होगी, इस बारे में सर्वेक्षण से कुछ पता नहीं चलता। सर्वेक्षण में 6.75 फीसदी से 7.5 फीसदी की दर से आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। औद्योगिक उत्पादन में जहां पिछले साल के मुकाबले गिरावट दर्ज किए जाने का अनुमान है, वहीं कृषि क्षेत्र में तीन साल का सबसे बढ़िया प्रदर्शन दर्ज किए जाने की बात कही गई है। औद्योगिक क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। पिछले साल इस अवधि में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत थी। ऐग्रिकल्चर सेक्टर में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पिछले साल 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसमें माना गया है कि निजीकरण से वर्तमान समस्या सुलझ सकती है। तीन सेक्टर्स फर्टिलाइजर, सिविल एविएशन और बैंकिंग के निजीकरण का सुझाव दिया गया है। गरीबी उन्मूलन के लिए स्टेट सब्सिडी की जगह यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर जोर दिया गया है। सर्वेक्षण में पब्लिक सेक्टर कंपनियों के प्रदर्शन पर फिक्र जताई गई है। उन्हें नया आधार देने के लिए एक केंद्रीकृत पब्लिक सेक्टर असेट रिहेबिलेशन एजेंसी की स्थापना करने की सलाह दी गई है। सरकार के जिन पांच महत्वपूर्ण सुधारों का जिक्र किया गया है उनमें जीएसटी, दिवालिया कानून, मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी, आधार बिल, एफडीआई, उदारीकरण और यूपीआई स्कीम है। बहरहाल तमाम सकारात्मक बातों के बावजूद दबाव साफ दिख रहा है। इसका संकेत कांग्रेस ने एक दिन पहले किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने कांग्रेस के मुख्यालय में 'द रियल स्टेट ऑफ इकॉनमी 2017- ए कॉम्प्रिहेंसिव मिड टर्म इकनॉमिक ऐनालिसिस ऑफ द मोदी गवर्नमेंट' नामक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था की वास्तविक हालत बहुत बुरी है।]]>