1950-51 में पेश हुआ था भारतीय गणतंत्र का पहला बजट

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हर बजट में लोगों की कुछ उम्‍मीदें पूरी होती हैं तो कुछ नहीं। कुछ ऐसे भी बजट जिनका ज्‍यादातर असर देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर हुआ। आजादी के बाद देश का पहला गणतांत्रिक बजट किस प्रकार पेश किया गया था आईये जानते हैं।

भारत के गणतंत्र बनने के बाद पहला बजट 1950-51 में पेश किया गया था। गणतंत्र भारत का पहला बजट उस वक्त कांग्रेस सरकार में वित्तमंत्री जॉन मथाई ने पेश किया था।

उस समय योजना आयोग में तत्कालीन अध्यक्ष पीएम जवाहरलाल नेहरू थे। गुलजारीलाल नंदा उनके डिप्टी और सदस्य थे आर.के. पाटिल, चिंतामन देशमुख और गगन विहारी लाल मेहता।

मथाई ने आगाह किया कि 1950-51 के बजट को 1949-50 से तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि 1950-51 में पहली बार राज्य के वित्त को शामिल किया गया था। मथाई ने बजट में एक श्वेत पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें आर्थिक विकास का संक्षिप्त विवरण दिया गया। उन्होंने अपने बजट भाषण में सरकार की नाकामियों को भी गिनाया जो विश्व युद्ध के बाद महंगाई को काबू करने में उसकी सफलताएं और असफलताओं पर केंद्रित थीं। दिलचस्प बात यह है कि जुलाई 1948  से जून 1949 तक इन 12 महीनों के दौरान, पाकिस्तान से भारत का आयात 117 करोड़ रुपये का था और निर्यात 83 करोड़, जिसमें व्यापार घाटा 34 करोड़ था। इस बजट में नए योजना आयोग के गठन और उसके स्वरूप का ऐलान किया गया वहीं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया।

सरकार ने बिजनेस प्रॉफिट टैक्स खत्म कर दिया। इनकम टैक्स लेवल का पुनर्गठन किया गया और सुपर टैक्स रेट को कम किया गया। इस प्रकार भारतीय गणतंत्र का पहला बजट पेश किया गया था। इसके देश ने कई बजट देखे। जिनमें से कई बजट ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर काफी असद दिखाई दिया।

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