<![CDATA[बैड डेट के उच्चतम स्तर और कमजोर कॉर्पोरेट मांग के कारण क्रेडिट ग्रोथ वित्त वर्ष 2016-17 में 5.08 फीसदी के छह दशक के निम्नतम स्तर पर आ गई है। जबकि बीते साल यह 10.7 फीसद के स्तर पर थी। ये जानकारी आरबीआई की ओर से पेश किए गए डेटा के जरिए सामने आई है। मार्च में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान बैंकों का बकाया ऋण 78.81 लाख करोड़ रुपए था, जो एक अप्रैल, 2016 में 75.01 लाख करोड़ रुपए था। यह आंकड़े इस लिहाज से आश्चर्यजनक है क्योंकि अर्थव्यवस्था सात फीसद वृद्धि दर की ओर बढ़ रही है और ब्याज दरें नीचे आ रही हैं। इसकी एक प्रमुख वजह है कि कॉरपोरेट बांड बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जहां से कंपनियां कार्यशील पूंजी आदि के लिए भी कोष जुटा रही हैं। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक यह ध्यान दिया जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में ऋण वृद्धि 1953-54 के बाद सबसे कम है, तब यह 1.7 फीसद कम था। मार्च 2016 तक, बैंकों ने 10.69 फीसद की ऋण वृद्धि की सूचना दी जो बढ़कर 75.30 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई।]]>