<![CDATA[शेयर बाजार के महारथी कहते हैं, जब मार्केट लगातार ऊपर जाए और सब खरीदने की सलाह दें तो समझिए जोखिम बढ़ रहा है. लेकिन जब बड़ी गिरावट हो और सब बेचने की सलाह दें तो वही शेयर मार्केट में निवेश का सही मौका होता है. अब निफ्टी ने 10,000 छूने का रिकॉर्ड बना ही लिया है, और 4 महीने में 9000 से 10000 तक पहुंचा है. यानी शेयर मार्केट के बुजुर्गों की माने तो अब संभल संभलकर चलने का मौका है. वैसे बाजार की इस बार की तेजी कुछ अलग है. इसमें विदेशी निवेशकों के मुकाबले घरेलू वित्तीय संस्थानों का ज्यादा योगदान है. म्यूचुअल फंड ने नोटबंदी के बाद से लगातार बाजार में जमकर निवेश किया है. कुल मिलाकर इस साल एक जनवरी से अब तक घरेलू संस्थागत निवेशक यानी डीआईआई ने 24 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश किया है. जबकि विदेशी निवेशकों की खरीद में हिस्सेदारी 22 हजार करोड़ रुपए के आसपास है. यह भी पढ़ें: शेयर मार्केट में रिकॉर्ड तेजी, 10 हजार के करीब पहुंचा निफ्टी लेकिन ये जान लीजिए दरअसल बाजार की चाल सीधे फॉर्मूले पर नहीं चलती. इसकी वजह है घटनाओं का बाजार पहले ही अनुमान लगाकर रिएक्शन दे देता है. मतलब ये कि बाजार घटनाओं से आगे चलता है. चलिए इसका उदाहरण बताता हूं, जैसे महंगाई दर घटी और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी घटा मतलब रिजर्व बैंक आगे ब्याज दरें घटाएगा. रिजर्व बैंक अगस्त में ब्याज दरें घटाएगा लेकिन शेयर बाजार में खासतौर पर बैंक और इंटरेस्ट सेंसिटिव शेयरों में 12 जुलाई पूरी रिएक्शन नजर आ गई. 2009 में जब ग्लोबल मंदी की वजह से भारत समेत दुनिया के बाजारों में तेज गिरावट थी, तब गुल टेकचंदानी और राकेश झुनझुनवाला जैसे दिग्गज निवेशकों का कहना था, जब सब लोग घबरा रहे हों तो समझ लीजिए निवेश का सबसे अच्छा मौका होता है. उन्होंने कुछ ऐसे समझाया कि ये जान लीजिए शेयर बाजार जीरो नहीं होने वाला, अभी खरीदोगे तो शेयर सस्ते मिलेंगे जो आगे चलकर जमकर मुनाफा देंगे. इसी तरह शेयर बाजार का अलिखित सिद्धांत हैं जब सब खरीदें तो समझ लीजिए संभलकर चलना है और बीच बीच में मुनाफावसूली भी करना है. निवेशकों को क्या करना चाहिए बाजार की इस तरह की रफ्तार छोटे निवेशकों के लिए अक्सर जोखिम लेकर आती है. जानकारों के मुताबिक रिटेल निवेशकों के साथ होता है कि आमतौर पर ऊंचे स्तरों पर निवेश करते हैं, फिर जरा सी मुनाफावसूली से घबराने लगते हैं. हालांकि जेएम फाइनेंशियल के टेक्निकल एक्सपर्ट गौतम शाह कहते हैं कि इस साल के आखिर तक निफ्टी 11 हजार पार कर ले तो उन्हें हैरानी नहीं होगी. आगे तेजी के ही क्यों हैं आसार शेयर बाजार में लंबी अवधि में तेजी के ही आसार हैं. जीएसटी लागू हो चुका है और इसका फायदा साल भर में दिखना शुरू हो जाएगा. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड के ताजा अनुमान में भारत की जीडीपी ग्रोथ इस वित्तीय साल में 7.2 और अगले वित्तीय साल में 7.7 परसेंट से नीचे नहीं जाएगी. यानी ग्रोथ पर कोई खतरा नहीं है. जो निवेशक अब तक बाजार में नहीं उतरे हैं वो घबराएं नहीं, बाजार में कमाई के आगे भी बहुत मौके हैं. कई बार निवेशक तेजी पर सवार नहीं हो पाते हैं, फिर वो जब देखते हैं कि 4 माह में कई शेयरों दो और तीन गुना तक उछल गए हैं तो पछताने लगते हैं. ऐसे में रिटेल निवेशक बिना सोचे समझे निवेश करने लगते हैं, ऐसा कतई ना करें. जो शेयर बहुत रिटर्न दे चुके हैं, फिलहाल उसमें निवेश के बजाए दूसरे ऐसे शेयरों को चुने जो अपेक्षाकृत कम चले हैं. रिजर्व बैंक अगस्त में रेट कटौती कर सकता है और जानकार कहते हैं कि इस साल इसके बाद कम से कम एक और रेट कटौती होगी यानी सस्ता कर्ज और ज्यादा इन्वेस्टमेंट, आगे कंपनियों के तिमाही नतीजे अच्छे आने की उम्मीद है. पिछले दो साल से कंपनियों की ग्रोथ सुस्त पड़ी थी. लेकिन ज्यादातर विश्लेषक मानते हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद खास तौर पर एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, कंपनियों के नतीजों में सुधार होने की बहुत संभावना है. तेजी ही तेजी निफ्टी इस साल पहले सात महीनों में अब तक 22 परसेंट रिटर्न दे चुका है राजनीतिक स्थिरता को इस तेजी की मुख्य वजह माना जा सकता है. शेयर बाजार को उम्मीद है कि इस साल कई और बड़े आर्थिक सुधारों का ऐलान मुमकिन है ग्लोबल इकोनॉमी में भारत लगातार ब्राइट स्पॉट बना हुआ है. ताजा अनुमान तो कहते हैं कि अगले साल ग्रोथ में भारत चीन को भी पीछे छोड़ सकता है भारत की इकोनॉमी पर विदेशी निवेशकों से ज्यादा घरेलू संस्थागत निवेशकों का भरोसा दिख रहा है. घरेलू निवेशकों ने जनवरी से अब तक नेट 24,050 करोड़ रुपए का निवेश किया है. जबकि विदेशी निवेशकों इस साल 7 महीने में चार माह नेट बिकवाली की है, इसलिए उनकी नेट खरीद घरेलू निवेशकों से कम रही है. दिग्गज निवेशक रमेश दमानी कहते हैं बुल रन अभी जारी रहेगा, जो थीम पकडकर कंपनी देखकर निवेश करेगा वो अभी भी बहुत कमाएगा लेकिन सभी जानकार इस बात पर एकमत हैं कि बाजार कभी भी एक जैसी रफ्तार से नहीं चलता. कई बार स्पीड ब्रेकर भी मुमकिन है, इसलिए जो निवेश करें लंबी अवधि के लिए करें छोटे निवेशकों को म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए ही निवेश करना चाहिए उसमें जोखिम कम होता है एनाम ग्रुप के चेयरमैन वल्लभ भंसाली अपनी कमेंट्री में कहते हैं कि बाजार की तेजी लगातार हो रहे निवेश की वजह से आ रही है और ये सिलसिला अभी जारी रहने के आसार हैं 21 साल में 10,000 अप्रैल 1996 में जब निफ्टी लॉन्च हुआ था तो इसका बेस था 1000 अब 21 साल बाद दस गुना ऊपर 10 हजार. इसका मतलब है कि अगर आपने 21 साल में आपका निवेश दस गुना ऊपर. लेकिन ये रफ्तार एक्सप्रेस हाइवे की तरह नहीं रही, बल्कि घुमावदार रास्तों के जरिए यहां तक पहुंचा है. 1000 से 2000 तक पहुंचने में निफ्टी को 8.5 साल लगे थे. लेकिन इसके बाद की रफ्तार तेज रही. दो साल के अंदर 4000 पहुंच गया. बाजार ने 2013 में असली तेजी पकड़ी जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया. इसके बाद मोदी के पीएम बनने के बाद भी मार्केट की उछाल बनी रही. निफ्टी ने 9000 से 10,000 छूने में चार महीने से भी कम का वक्त लिया. आगे क्यों हैं खतरे जीएसटी का लागू होना और महंगाई दर में कमी ने इस तेजी की बुनियाद रखी पर आगे रास्ते के स्पीड ब्रेकरों से भी संभलना जरूरी है. जब बाजार शिखर पर हो तो नीचे आने की गुंजाइश ज्यादा होती है. अभी निफ्टी 10 हजार को छूकर आया है, सेंसेक्स भी 32 हजार के आसपास है. इसलिए जानकार कहते हैं कि इस तूफानी रफ्तार वाली गाड़ी के सामने आने की जरूरत नहीं है, स्पीड कम होने दीजिए फिर सवारी कीजिए बाजार में तेजी की वजह जीएसटी है, लेकिन गिरावट की वजह भी यही बन सकती है. जीएसटी को लेकर अभी कुछ रुकावटें हैं, इसका असर दिखने दीजिए. बाजार में नई खरीद अब कुछ गिरावट होने पर करेंगे तो बेहतर रहेगा. इस बात पर सभी जानकारों और अनुमानों में सहमति है कि लंबी अवधि में तेजी रहने की गारंटी है. पर निवेश के लिए इतने ऊंचे स्तरों पर निवेश भी समझदारी नहीं है. रिटेल निवेशक के लिए पहला सबक है कि बार बार सेंसेक्स और निफ्टी की को मत ताकिए. इंडेक्स के बाहर भी ढेरों ऐसे शेयर हैं जिनमें निवेश के मौके होते हैं. ध्यान रखिए निवेश के लिए शेयर सेलेक्ट करना जरूरी है इंडेक्स नहीं. बड़े से बड़े दिग्गज निवेशक मार्केट की टाइमिंग का हमेशा सही अंदाज नहीं लगा पाते. इसलिए शेयर में गिरावट से घबराएं नहीं, हां अगर बहुत तेजी आ चुकी हो तो थोड़ी मुनाफावसूली कर सकते हैं. जोखिम का अंदाज लगाना काफी मुश्किल होता है. सही तरीका यही है कि बहुत ज्यादा कमाई के चक्कर में कमजोर फंडामेंटल वाले शेयरों से दूर ही रहें, भले ऐसे शेयर चार छै महीने में दो या तीन गुने हो गए हों. बाजार में फिक्स्ड डिपॉजिट या दूसरे तरीकों से ज्यादा कमाई होती है, इसलिए जोखिम भी थोड़ा ज्यादा रहता है. लेकिन कुछ ऐहतियात के साथ कमाई के इस मौके को पकड़ के चलिए, पैसे खुद ब खुद बनते चले जाएंगे.]]>