<![CDATA[अगर आपको ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ ब़ड़ौदा, एक्सिस बैंक और एल एंड टी जैसे 22 चुनिंदा कंपनियों के एक-एक शेयर खरीदने हों तो 4 अगस्त के बंद भाव पर करीब 6000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. लेकिन अगर इन सभी 22 कंपनियों के शेयरों में एक साथ महज 10 रुपये में निवेश करने का मौका मिलेंगे, तो क्या आप यकीन करेंगे? ये मुमकिन होगा सरकार के नए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) ‘भारत 22’ की बदौलत. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड दरअसल एक तरह का बास्केट है जिसमें शेयर, बांड या जिंस शामिल किए जाते हैं. ‘भारत 22’ में 22 कंपनियों के शेयर निश्चित अनुपात में शामिल किए गए हैं. ये कंपनियां छह अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी हैं. . ईटीएफ एक तरह का म्यूचुअल फंड है जिसके यूनिट की खरीद-फरोख्त एक शेयर की तरह की स्टॉक एक्सचेंज पर होती है. हर कारोबारी दिन फंड में ईटीएफ में शामिल शेयरों की कीमत के आधार पर निवेश की शुद्ध कीमत (खर्चा निकालकर निवेश की कीमत, Net Asset Value or NAV) तय होती है और फिर उसीके आधार पर शेयर बाजार में यूनिट की खरीद-फरोख्त होती है. जब मांग ज्यादा होगी तो ईटीएफ की कीमत एनएवी से ज्यादा हो जाएगी और कम होने पर कम. शेयरों की तरह ही ईटीएफ के यूनिट की खऱीद-फरोख्त एक शेयर ब्रोकर के जरिए की जा सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड का ऐलान किया. हालांकि अभी ये तय नहीं कि फंड के तहत यूनिट बेचने का काम कब शुरु होगा. वित्त मंत्रालय का कहना है कि बाजार की परिस्थितियों के हिसाब से ऑफर लाया जाएगा. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड उन निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प है जो शेयर बाजार में निवेश का फायदा तो उठाना चाहते हैं, लेकिन बाजार की समझ नही होने और जोखिम के मद्देनजर बाजार से दूर रहते हैं. यहां पर बाजार को सोच-समझकर एक विशेषज्ञ फंड मैनेजर निवेशकों का पैसा तय शेयरों में तय अनुपात में लगाएगा. मतलब ईटीएफ का निवेशक अप्रत्यक्ष तौर पर एक साथ कई कंपनियों में निवेश कर सकेगा. पहले भी सरकार जारी कर चुकी है ईटीएफ सरकार का पुराने ईटीएफ में केवल 10 सरकारी कंपनियां थी, लेकिन नए ईटीएफ में सरकारी कंपनियों के साथ-साथ सरकारी बैंक और एक निजी कंपनी, एल एंड टी और एक निजी बैंक एक्सिस बैंक को शामिल किया गया है. एल एंड टी और एक्सिस बैंक में सरकार की सूटी के जरिए हिस्सेदारी है. सूटी, यूटीआई के बंटवारे के बाद बनायी गयी और इसमें सरकार की ओर से यूटीआई द्वारा खरीदी गयी विभिन्न कंपनियों में हिस्सेदारी डाल दी गयी. पहले वाले ईटीएफ में जहां ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों का बोलबाला था, वहीं प्रस्तावित ईटीएफ में छह क्षेत्रों, बेसिक मेटेरियल्स, एनर्जी, फाइनेंस, एफएमसीजी, इंडस्ट्रियल औऱ यूटिलिटीज से जुड़ी कंपनियों को शामिल किया गया है. पहली बार यहां बैंकों को जगह मिली है. सरकार को उम्मीद है कि अलग-अलग क्षेत्रों में हो रहे सुधारों का असर उससे जुड़ी कंपनियों के शेयरों पर पड़ेगा और अंत में इसका फायदा ईटीएफ को मिलेगा. पिछले पांच सालो में ईटीएफ में निवेश की कीमत (AUM or Assets Under Management) लगातार बढ़ी है. मार्च 2014 के अंत में जहां ईटीएफ में निवेश की कीमत 11403 करोड़ रुपये थी, वो जून 2017 में करीब 54 हजार करोड़ रुपये हो गयी]]>