क्रिप्टोकरेंसी पर आ रहे समाचारों के बीच में सरकार कुछ क्रिप्टोकरेंसी को संपदा या कमोडिटी के रूप में चलन की अनुमति दे सकती है। पर वह क्रिप्टोकरेंसी किसी लेनदेन के लिए वैधानिक नहीं होगी और क्रिप्टो पर सरकार टैक्स भी लेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल को अंतिम रूप दे रही है और इस पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में किया जाएगा। उसके बाद ही इसे कैबिनेट और फिर संसद में पेश किया जाएगा। यद्यपि संसद में पेश होने के लिए प्रस्तावित विधेयक में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाए जाने की बात की गई है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में उपयोग होने वाली तकनीक के तहत अपवाद के रूप में कुछ क्रिप्टो को स्वीकृति भी दी जा सकती है।
कुछ क्रिप्टोकरेंसी को मिल सकती है अनुमति
सूत्रों की माने तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना चाहता है, लेकिन वित्त मंत्रालय क्रिप्टो को संपदा के रूप में अनुमति देने के पक्ष में है ताकि उसे टैक्स के दायरे में लाया जा सके। आगामी बजट में क्रिप्टो पर टैक्स संबंधी नियम लाने की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार एक या दो क्रिप्टो को संपदा के रूप में चलन की स्वीकृति मिल सकती है।
क्रिप्टो में भारी गिरावट
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध के समाचारों के बाद क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में भारी गिरावट देखी गई है। क्रिप्टो से जुड़े एक्सचेंज वजीरएक्स के अनुसार बिटक्वाइन, एथेरियम, डोजक्वाइन व पोल्काडाट जैसी क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में औसतन 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। भारत में क्रिप्टो में निवेश करने वाले 10.07 करोड़ लोग है। क्रिप्टो रिसर्च से जुड़ी फर्म सीआरईबीएसीओ के अनुसार क्रिप्टो में भारतीयों का निवेश 10 अरब डालर यानी लगभग 75,000 करोड़ रुपये मूल्य तक पहुंच चुका है जबकि पिछले वर्ष अप्रैल में यह निवेश मात्र 90 करोड़ डालर यानी लगभग 6,500 करोड़ रुपये मूल्य के आसपास था। भारत में 15 क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि क्रिप्टोकरेंसी को वैश्विक स्तर पर तेजी से अपनाया जा रहा है और भारी खतरे के बाद भी निवेश से मिलने वाले उच्च रिटर्न को देख कर युवा निवेशक इसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। इस क्षेत्र में नियामक की अनुपस्थिति के चलते क्रिप्टो को लेकर भारी अनिश्चितता है।
प्रतिबंध की स्थिति में
क्रिप्टोकरेंसी का अंतरराष्ट्रीय कारोबार है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में इसे प्रतिबंधित कर भी दिया जाता है तो दूसरे देश में इसके लेने वाले मिल जाएंगे। जिन लोगों ने क्रिप्टो एक्सचेंज में बैंकों के माध्यम से पूंजी लगाई है, उन्हें क्रिप्टो बेचने के लिए सरकार कितना समय देती है, यह देखना होगा। प्रतिबंध लगने की स्थिति वैश्विक रूप से क्रिप्टो के भाव गिरेंगे और हो सकता है जल्दबाजी में बेचने पर निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़े।
54 प्रतिशत नहीं चाहते क्रिप्टो को कानूनी मान्यता
कुछ समय आनलाइन सर्वे करने वाली कंपनी लोकल सर्किल्स के अनुसार लगभग 54 प्रतिशत लोग नहीं चाहते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को भारत में कानूनी मान्यता दी जाए। इसकी अपेक्षा वह चाहते हैं कि उसे विदेशों में रखी गई डिजिटल संपत्ति के रूप में मान्यता दी जाए और उसी तरह उस पर टैक्स लगे। सर्वे के समय देश के 342 जिलों में रहने वाले 56,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रिया ली गई।
कुछ क्रिप्टोकरेंसी बचेंगी: राजन
इस बारे में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि आज भले ही 6,000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी हों, लेकिन निकट भविष्य में कुछ का ही अस्तित्व बचेगा। उनका कहना था कि लोग सिर्फ दो कारणों से अपने पास क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं। एक उसका अधिक मूल्य और दूसरा भुगतान के लिए। अब ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या हमें भुगतान के लिए वास्तव में 6,000 वर्चुअल करेंसी की आवश्यकता है। भविष्य में एक, दो या मुट्ठी भर वर्चुअल करेंसी की आवश्यकता भुगतान में पड़ेगी।