30 नवंबर :: मुख्य आर्थिक सलाहकार :सीईए: अरविंद सुब्रमणियन ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के बेहतर और स्थिर प्रदर्शन को प्रतिबिंबित करता है लेकिन दूसरी छमाही के लिये परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। सरकार के आंकड़े के अनुसार देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.3 प्रतिशत रही जो पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत थी। हालांकि 500 और 1,000 रपये के नोटों पर पाबंदी के कारण विभिन्न अनुमानों में 2016-17 में जीडीपी :सकल घरेलू उत्पाद: वृद्धि दर में कमी का अनुमान जताया गया है। लेकिन इसमें कमी का अनुमान 0.5 प्रतिशत से 2.0 प्रतिशत तक है। सुब्रमणियम ने कहा, हमारे पास पहली छमाही के जो आंकड़े हैं, यह लगातार बेहतर प्रदर्शन को बताता है। लेकिन दूसरी छमाही को देखें तो इसमें काफी अनिश्चितता है। हमें इस बारे में कुछ कहने से पहले इसका विश्लेषण करना होगा। उन्होंने कहा, वास्तविक जीडीपी वृद्धि में तेजी आयी है और इस संदर्भ में यह अच्छी खबर है। इसीलिए यह निरंतर सुधार को बताता है। अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित शक्ति में कुछ सुधार के संकेत हंै। यह जीडीपी वृद्धि में तेजी से प्रतिबिंबित होता है। आंकड़े के चुनौतीपूर्ण पहलू के संदर्भ में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि निवेश में उल्लेखनीय रूप से कमी आयी है और इस पर नजर रखने की आवश्यकता है। सरकार के व्यय एवं खपत से जीडीपी में कुछ वृद्धि हुई है। तीसरी तिमाही में नोटबंदी के प्रभाव के बारे में सुब्रमणियम ने कहा कि यह अनिश्चितता पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, हम सभी आंकड़े के विश्लेषण की प्रक्रिया में हैं….मौद्रिक प्रभाव, अल्काल और दीर्घकाल लाभ को लेकर अनिश्चितता है…हमें इस बारे में कुछ भी कहने से पहले काफी आंकड़े और उसके गहन विश्लेषण की जरूरत है।]]>