<![CDATA[कई बार निवेशक अपने म्यूचुअल फंड्स यूं ही बेच देते हैं या किसी दूसरे फंड में स्विच कर जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वह अच्छी खासी कमाई कर चुके हैं। हालांकि, फाइनैंशल प्लानर्स का सुझाव है कि म्यूचुअल फंड की बिक्री या स्विच करने से पहले निवेशकों को कुछ जरूरी पड़ताल कर लेनी चाहिए। स्कीम का परफॉर्मेंस ? उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने पर कई निवेशक अपने पास की म्यूचुअल फंड स्कीम से निराश हो जाते हैं। मसलन, कुछ लोग इस मुगालते में रहते हैं कि अगर किसी शेयर की कीमत दो सालों में दोगुनी हो गई तो उनका इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम भी बढ़कर दोगुना हो जाएगा। फाइनैंशल प्लानर्स का कहना है कि निवेशकों को बेंचमार्क से परफॉर्मेंस की तुलना कर पता करना चाहिए कि उनकी स्कीम ही अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है या मार्केट के मिजाज ही बिगड़ा हुआ है। अगर आपकी स्कीम एक साल या ज्यादा वक्त तक अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो इसे गंभीरता से परखने की जरूरत है। तब फंड मैनेजमेंट स्टाइल, फंड मैनेजर में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है। फिर भी कुछ सुधार नहीं हो तो और आप इसकी वजह से संतुष्ट नहीं हैं तो शायद आपको स्कीम से निकल जाना चाहिए। लेकिन, अगर आपके पास पर्याप्त समय नहीं है तो थोड़ा इंतजार करें। ऐसेट अलकेशन में क्या परिवर्तन है? कई निवेशक मुनाफा बढ़ाने और जोखिम घटाने के लिए ऐसेट अलकेशन के सिद्धांत पर काम करते हैं। अगर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के लिए आप भी इसी का सहारा लेते हैं तो आपको वक्त-वक्त पर संतुलन साधते रहना चाहिए। इसलिए, मजबूत होते बाजार में जब इक्विटी कंपोनेंट चढ़े तो इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम बेचकर नियत आमदनी का रुख करना चाहिए ताकि आपका ऐसेट अलकेशन स्थिर रहे और ऑरिजिनल ऐसेट अलकेशन पर पहुंच जाए। मकसद पूरा हो गया? कई निवेशक किसी खास मकसद से म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप बच्चों की शिक्षा के लिए इक्विटी ऑरियंटेड फंड में निवेश कर रहे हैं, लेकिन आपको समय से पहले जरूरी रकम प्राप्त हो गई है तो आपको अपना इक्विटी इन्वेस्टमेंट को लक्ष्य से एक साल पहले कम जोखिम वाले लिक्विड या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म डेट फंड में स्विच कर देना चाहिए। इससे सुनिश्चित होगा कि इक्विटी मार्केट्स के गिरने पर भी आपके निवेश पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और आप अपना लक्ष्य पहुंच जाएंगे। फंड से निकलने से पहले क्या सोच रहे हैं? अगर म्यूचुअल फंड से निकले का कोई चार्ज लग रहा हो या निकलने के बाद टैक्स लग रहा हो तो उस पर विचार कर लें। मसलन, एक साल से पहले इक्विटी फंड्स से निकलने की सामान्यतः 1 प्रतिशत लागत बैठती है और 15 प्रतिशत का शॉर्ट टर्म गेन्स टैक्स लगता है। उसी तरह, अगर तीन साल से पहले फिक्स्ड इनकम स्कीम्स बेचते हैं तो भी शॉर्ट टर्म गेंस टैक्स लगेगा। वही अब लांग टर्म केपिटल गेन भी लगने लगेगा। अत: मुचुअल फंड बेचने से पहले इन खर्चों का आकलन जरूर कर लें]]>