<![CDATA[नई दिल्ली कार्ड से भुगतान के मसले पर पेट्रोल पंपों के दबाव का असर पड़ते ही अब ट्रेडर्स को अपनी स्वाइप मशीनों पर कार्ड से पेमेंट लेना खटकने लगा है। बैंकों ने 31 दिसंबर के बाद से ट्रांजैक्शन वैल्यू के हिसाब से 0.25 से 1 पर्सेंट तक मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) लगाना शुरू कर दिया है। बैंक यह चार्ज काटने के बाद ही बाकी रकम ट्रेडर के खाते में ट्रांसफर करते हैं। फिलहाल बाजारों में ज्यादातर ट्रेडर इसे खुद अफोर्ड कर रहे हैं, लेकिन कुछ ने यह बोझ ग्राहकों पर डालना भी शुरू कर दिया है। ने सरकार से मांग की है कि वह या तो बैंकों से यह चार्ज खत्म करने को कहे या फिर इसका बोझ खुद उठाए। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मांग की कि अगर दुकानों के पॉइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) टर्मिनल्स पर ट्रांजैक्शन चार्जेज जारी रहे तो सरकार के कैशलेस अभियान को झटका लग सकता है। जिस तरह सरकार ने पंपों को राहत देते हुए इसका बोझ ऑयल कंपनियों पर डाल दिया है, वैसे ही उसे आरबीआई के मार्फत बैंकों को निर्देश देना चाहिए कि वे कमर्शल ट्रांजैक्शन पर एमडीआर न काटें। संगठन के सेक्रटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, ‘सरकार पिछले साल एक कैबिनेट नोट लेकर आई थी, जिसमें डिजिटल पेमेंट पर ट्रेडर्स को टैक्स रियायतें और दूसरे इंसेंटिव्स देने की बात कही गई थी। अगर वह ट्रांजैक्शन चार्ज का बोझ ही उठा ले तो बड़ी बात होगी।’ उन्होंने सलाह दी कि कैश का उपयोग घटाने के लिए एटीएम ट्रांजैक्शन पर 0.5 पर्सेंट तक सरचार्ज लगाना चाहिए।]]>