देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर इस बजट से बड़ी अपेक्षाएं हैं। हमने छह बड़ी प्राथमिकताओं की लिस्ट तैयार की है, जिस पर नई वित्त मंत्री की तवज्जो की अपेक्षा रहेगी।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह पिछले महीने 1,002.9 अरब रुपये रहा जो 1142.5 अरब रुपये के मासिक लक्ष्य से कम है। सरकार को टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने के लिए कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, बिजली, प्राकृतिक गैस, रीयल एस्टेट को जीएसटी के अधीन लाना चाहिए। साथ ही, सरकार को प्रक्रियागत जटिलताओं को मिटा कर और रजिस्ट्रेशन को आसान बनाना होगा, रिफंड में लेटलतीफी दूर करनी होगी एवं टैक्स स्लैब्स घटाना होगा।
देश की अर्थव्यवस्था में तरलता का अभाव है। इससे खपत एवं निवेश की रफ्तार थम सी गई है। शहरी मांग की वृद्धि दर मार्च महीने में घटकर 5.1 प्रतिशत पर आ गिरी जो पिछले वर्ष के मार्च महीने में 6.2 प्रतिशत थी। सरकार को सुनिश्चित प्रयास करना चाहिए कि सभी नॉन-बैंकिंग फाइनैंशल कंपनियों (एनबीएफसीज) में फंसी बैंकों की रकम कम हो।
घिसे-पिटे श्रम कानूनों के कारण देश में श्रम की प्रचूरता के बावजूद कामगारों को नौकरी पर रखना महंगा हो जाता है। श्रम कानूनों में सुधार की दरकार है। इससे भारत को ईज ऑफ डुइंग बिजनस रैंकिग में मौजूदा 77वें स्थान से ऊपर उठने में मदद मिलेगी।
आयुष्मान भारत योजना- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के बावजूद ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। वहां की संपूर्ण आबादी की जरूरतें पूरी करने के लिहाज से स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए, रोकथाम, जांच और इलाज- स्वास्थ्य सेवा के हरेक चरण के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना होगा। सरकार को अपने वादे के मुताबिक, डेढ़ लाख हेल्थ एवं वेलनेस सेंटरों की स्थापना जल्द से जल्द करनी चाहिए।