कुछ समय से सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) में निवेश करने वाले मुश्किल में हैं। ऐसे में डेट स्कीमों की नेट ऐसेट वैल्यू में भारी गिरावट के चलते कुछ एसटीपी इन्वेस्टर्स के प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट में बड़ी कमी आई है। उदाहरण स्वरूप माना कि आप ने , एक साल पहले डीएचएफएल प्रामेरिका मीडियम टर्म फंड में एसटीपी में निवेश किया था, तो आपका प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट 50 प्रतिशत से अधिक घट गया होगा। ऐसे में एसटीपी इन्वेस्टर्स को अपने निवेश को बचाने के लिए क्या करना चाहिए?
सामान्य एसआईपी में निवेशक का पैसा उसके बैंक खाते से सीधे चुनी हुई इक्विटी स्कीम में जाता है। सेविंग्स अकाउंट से सिर्फ 4-6 पर्सेंट का ब्याज मिलता है। इसलिए एसटीपी को किसी इक्विटी फंड में धीरे-धीरे निवेश करने का अच्छा तरीका माना जाता है। एसटीपी में निवेशक पहले एक डेट फंड में एकमुश्त रकम लगाते हैं, जिससे आमतौर पर 7-8 पर्सेंट का रिटर्न मिलता है। उसके बाद डेट फंड से इक्विटी फंड में धीरे-धीरे निवेश की सुविधा मिलती है। इसके साथ डेट फंड में बची हुई रकम पर निवेशक को बचत खाते से ऊंचा ब्याज कमाने का मौका मिलता है। यह तभी होता है, जब डेट फंड से बढ़िया रिटर्न मिले। अगर डेट फंड में नुकसान होता है तो पूरी स्ट्रैटिजी बेकार हो जाती है।
उदाहरण के लिए, अगर आपने टाटा कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड में एक साल तीन लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट कर 10 हजार रुपये प्रति महीने का एसटीपी शुरू किया था तो अभी तक इक्विटी फंड में 1.2 लाख रुपये जा चुके होंगे। हालांकि, 1.8 लाख रुपये का बाकी फंड घटकर 1.26 लाख रुपये रह गया होगा क्योंकि इस डेट फंड की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) में 30 पर्सेंट की कमी आई है।
फाइनैंशल अडवाइजर्स आमतौर पर खास वित्तीय लक्ष्य पूरा करने के लिए एसटीपी शुरू करने की सलाह देते हैं। अगर 12-24 महीनों में आपको पैसों की जरूरत है तो मूल रकम कम होने से मुश्किल हो सकती है। अगर डेट फंड ने डाउनग्रेड हुई अपनी होल्डिंग्स को केवल आंशिक तौर पर मार्क डाउन किया है तो इसकी एनएवी में और कमी आ सकती है। ऐसे में निवेशक के लिए एसटीपी को बंद करना अच्छा रहेगा। एक फाइनैंशल अडवाइजर से सलाह लेना और यह जानना बेहतर होगा कि कि क्या डेट फंड से आपकी रकम की रिकवरी की कोई संभावना है। अगर यह संभव नहीं है तो आप ओवरनाइट फंड में जाकर इक्विटी फंड में एक नया एसटीपी शुरू कर सकते हैं।
हालांकि, अगर फंड ने डाउनग्रेड हुए बॉन्ड्स की वैल्यू को बड़े स्तर पर मार्क डाउन किया है, तो एनएवी में और कमी आने की आशंका नहीं होगी। निवेशक कुछ समय के लिए एसटीपी को रोक सकते हैं और उन्हें परेशान नहीं होना चाहिए। एसटीपी के लिए क्रेडिट रिस्क, कॉर्पोरेट बॉन्ड, डायनैमिक बॉन्ड, गिल्ड और मीडियम या लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स जैसी अधिक जोखिम वाली कैटिगरी से डेट फंड्स को चुनने से बचें।
हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है इन्वेस्टर्स को डेस्टिनेशन इक्विटी फंड्स के प्रदर्शन को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए। वास्तव में अगर लक्ष्य अभी दूर है तो डेस्टिनेशन फंड के एनएवी में अस्थायी गिरावट से इन्वेस्टर्स को लॉन्ग टर्म में फायदा मिलना चाहिए। अगर आपने इनमें अपनी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार इन्वेस्टमेंट किया है तो अपने प्लान पर बरकरार रहें।’ आगे चलकर अच्छा समय आ सकता है यह आपको सुनिश्चित करनाा है कि आपको क्या करना चाहिए।
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