मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आर्थिक सर्वेक्षण आज संसद में पेश कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आर्थिक सर्वे प्रस्तुत किया। आर्थिक सर्वे रिपोर्ट को बजट से ठीक एक दिन पहले संसद में पेश किया जाता है। इस बार के आर्थिक सर्वेक्षण रिर्पोट में 2019-20 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7 प्रतिशत रखा गया है।
सरकार का रिपोर्ट कार्ड
वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार आर्थिक सर्वे को तैयार करते हैं। इस बार आर्थिक सर्वे देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने तैयार किया है। एक तरह से आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था के पिछले एक साल का रिपोर्ट कार्ड होता है। साथ ही इसमें अगले वित्तवर्ष के नीतिगत फैसलों के संकेत भी छिपे होते हैं। आर्थिक सर्वे को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वित्त मंत्रालय का सबसे प्रमाणिक और संग्रहणीय दस्तावेज माना जाता है।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश किया।
इन सेक्टर्स पर फोकस
इस बार मोदी सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में कई जरूरी सेक्टर्स पर फोकस रहेगा। खासकर कृषि, नौकरी और निवेश एजेंडे में शामिल किया गया है। वैसे भी आर्थिक सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था, फिस्कल डेवलपमेंट, मॉनेटरी मैनेजमेंट, कृषि, निर्यात, उद्योग, इंफ्रास्टक्चर, सेवा क्षेत्र, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार पर फोकस रहता है।
आर्थिक सर्वे के असली मायने
आर्थिक सर्वे के जरिए देश की आर्थिक सेहत की तस्वीर साफ होती है, इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कितनी कामयाबी मिली है। इसके जरिये सरकार ये बताने की कोशिश करती है कि उसने आम लोगों के हित में जो योजनाएं शुरू की हैं। उसका प्रदर्शन कैसा है और अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में कितनी बेहतर संभावनाएं हैं।
गौरतलब है कि इस साल 1 फरवरी को तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। उस समय आर्थिक सर्वे देश के सामने नहीं रखा गया था। क्योंकि लोकसभा चुनाव होने वाले थे।