1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च, 2020 तक की अवधि के दौरान लिए गए होम लोन पर ब्याज में 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त टैक्स छूट दी गई है। स्टैंप ड्यूटी के मूल्य के साथ जिनके घर की कीमत 45 लाख रुपये तक है, वे लोग इस छूट का फायदा उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, स्वयं के कब्जे वाले घर की संपत्ति के लिए 2 लाख रुपये के लिए टैक्स कटौती का दावा करने के बाद अब 1.5 लाख रुपये के लिए अतिरिक्त कटौती का दावा किया जा सकता है। इस लोन सेंक्शन के दौरान आपके पास कोई और प्रॉपर्टी नहीं होनी चाहिए।
1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 तक खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए डेढ़ लाख रुपये तक टैक्स में छूट दी गई है। इससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी आएगी और वाहनों से होने वाला पलूशन भी कम होगा।
31 मार्च 2021 से पहले आवासीय संपत्ति की बिक्री पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) मिल सकता है, यदि इस रकम को किसी स्टार्ट-अप में निवेश किया जाता है तो कोई टैक्स नहीं देना होगा। पूंजीगत लाभ टैक्स में छूट सिर्फ किए गए निवेश की सीमा तक ही मिलेगी।
नैशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से एकमुश्त निकासी पर कर छूट को कुल संचित कोष के 40% से बढ़ाकर 60% कर दिया गया है। इस बदलाव के साथ, एनपीएस से पूरी एकमुश्त निकासी को टैक्स में छूट दी गई है।
इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए अब कोई भी व्यक्ति पैन कार्ड की जगह आधार कार्ड का इस्तेमाल भी कर सकता है
पहले से भरे टैक्स रिटर्न, जिनमें वेतन, पूंजीगत लाभ, बैंक ब्याज, लाभांश और अन्य स्रोतों से होने वाली टैक्स की कटौती की जानकारी करदाताओं के लिए उपलब्ध रहेगी। पहले से भरे टैक्स रिटर्न की जानकारी वित्त वर्ष 2019-20 के लिए उपलब्ध रहेगी। इससे टैक्स रिटर्न फाइल करने में तेजी आएगी।
2 करोड़ या उससे अधिक की कर योग्य आय वाले लोगों को अधिभार दरों में वृद्धि के कारण अधिक कर बोझ उठाना पड़ेगा। सेस 2 करोड़ और 5 करोड़ के बीच कर योग्य आय वाले लोगों के लिए 15% से 25% तक बढ़ गया है। 5 करोड़ रुपये से अधिक की कर योग्य आय अर्जित करने वालों के लिए सेस अब 15% के मुकाबले 37% होगा।
छूट सीमा से कम आय वाले व्यक्तियों को भी वित्त वर्ष में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत है, यदि (अ) चालू खाते में कुल जमा 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, (ब) खुद के या किसी अन्य व्यक्ति के विदेशी दौरों पर 2 लाख रुपये ज्यादा खर्च किया है। (स) बिजली का खर्च एक लाख रुपये से ज्यादा है।
1 जुलाई, 2015 की तारीख से पूर्वव्यापी संशोधन उन लोगों को पकड़ने के लिए पेश किया गया है, जो खुद को गैर-निवासी कहकर बेहिसाब ऑफशोर आय पर कर से बचने में कामयाब रहे थे। यदि पूर्व के वर्षों में वे निवासी थे और उन्होंने टैक्स बचाने के लिए गलत जानकारी दी थी, तो अब वे ब्लैक-मनी ऐक्ट के तहत आएंगे।
एनपीएस अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अधिक आकर्षक है, क्योंकि वे अब एनपीएस में सरकार के बढ़े हुए योगदान के लिए पूर्ण कटौती के लिए पात्र हैं। केंद्र सरकार के कर्मचारी वेतन का 14% और टियर-II एनपीएस खाते में अपने स्वयं के योगदान के लिए धारा 80 सी के तहत कटौती का दावा भी कर सकते हैं।
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