<![CDATA[कंपनियों के कामकाज में सूचना और निर्णयों की जानकारी को साझा करने के मामले में कॉरपोरेट गवर्नेस के नियम और सख्त हो सकते हैं। बाजार नियामक सेबी अब इस बात पर विचार करेगा कि कंपनियों का प्रबंधन या निदेशक बोर्ड अपने गैर कार्यकारी प्रमोटरों और स्वतंत्र निदेशकों के साथ कितनी सूचनाएं साझा करते हैं। आगे सेबी इस मामले को कारपोरेट गवर्नेस के नियमों में भी शामिल कर सकता है।हाल के दिनों में इन्फोसिस और कुछ अन्य कंपनियों में बोर्ड व कंपनी प्रबंधन के बीच सूचनाओं को साझा करने संबंधी विवाद उठे थे। सूत्र बताते हैं कि उसके बाद से ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत में होने वाली सेबी बोर्ड की बैठक में इस पर विचार होगा। हालांकि सूत्र बताते हैं कि यह बाजार नियामक के आंतरिक विचार-विमर्श का यह हिस्सा बन चुका है। सेबी के भीतर एक वर्ग मानता है कि गैर कार्यकारी प्रमोटरों और स्वतंत्र निदेशकों के साथ सूचनाएं साझा करने से न केवल कंपनी के कामकाज में पारदर्शिता आएगी, बल्कि ये लोग भी कंपनी के संचालन में सक्रिय भागीदारी कर पाएंगे। उच्चस्तरीय समिति कर रही विचार हालांकि, कॉरपोरेट गवर्नेस के कई विषयों पर शीर्ष बैंकर उदय कोटक की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति विचार कर रही है। लेकिन टाटा समूह व इन्फोसिस के शीर्ष पदों पर आसीन अधिकारियों के पद छोड़ने के बाद सेबी को विदेशी और घरेलू निवेशकों की तरफ से कई प्रतिनिधिमंडल मिले हैं। सेबी ने कोटक की अध्यक्षता वाली इस समिति का गठन इसी साल जून में किया था। सूत्रों का कहना है कि इस महीने होने वाली सेबी के बोर्ड की बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। हालांकि इन मुद्दों पर कोई भी नियम बनाने से पहले मसौदा तैयार होगा, जिसे सार्वजनिक चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जा सकेगा। इस मसौदे में कॉरपोरेट गवर्नेस से जुड़े तमाम मसलों को शामिल किया जाएगा। इनमें जानकारी और सूचना साझा करने के लिए आवश्यक सिस्टम को भी शामिल किये जाने का प्रस्ताव है। अक्टूबर से लागू होने हैं नए नियम इस साल अक्टूबर से शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कॉरपोरेट गवर्नेस के कई नए नियम लागू होने हैं। इनमें निवेशकों के अधिकारों की रक्षा से लेकर डिस्क्लोजर के कड़े नियम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त माइनॉरिटी शेयरधारकों और विदेशी शेयरधारकों को समान दर्जा देने का मामला भी शामिल है]]>