1 फरबरी को आने वाले बजट को लेकर आयकर दाता की नजरे लगी हुई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दूसरे आम बजट को पेश करने वाली हैं। लेकिन उनके सामने आर्थिक क्षेत्र में छाई सुस्ती और कंपनी कर में की गई भारी कटौती को देखते हुए आयकर में कोई बड़ी राहत देना कड़ी चुनौती हो सकती है। लेकिन इसमें एक सकारात्मक पक्ष यह है कि , उपभोक्ता मांग बढ़ाने के लिए आयकर छूट में कटौती की उम्मीद की जा सकती है।
वित्त मंत्री एक फरवरी को वित्त वर्ष 2020- 21 का आम बजट पेश करेंगी। कमजोर चाल से चल रही अर्थव्यवस्था में उपभोग में आती गिरावट, राजस्व संग्रह में सुस्ती के कारण बजट में तय राजस्व लक्ष्यों को हासिल करना वित्त मंत्री के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है। नौकरीपेशा और सामान्य करदाता इन सब बातों को दरकिनार करते हुए मोदी सरकार की दूसरी पारी में कर दरों में राहत की उम्मीद लगाए बैठा है। इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त मंत्री को आयकर स्लैब में बदलाव करना चाहिए। ताकि समान्य करदाता को कुछ राहत मिल सके।
सरकार ने हालांकि, आम नौकरीपेशा लोगों की पांच लाख रुपये तक की कर योग्य आय को पहले ही करमुक्त कर दिया है। लेकिन कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया। मौजूदा स्लैब के मुताबिक ढाई लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं है जबकि 2.50 लाख से पांच लाख पर पांच प्रतिशत, पांच से 10 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 20 प्रतिशत कर है। इसके बाद भी करदाता चाहता है कि उसे कर राहत दी जाए।
बढ़ता राजकोषीय घाटा
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के बीच राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से 14.8 फीसदी ज्यादा के स्तर पर पहुंच गया है। सरकार का लक्ष्य इसे जीडीपी के 3.3 फीसदी पर सीमित करना है।
आर्थिक सुस्ती
दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) वृद्धि दर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई। बजट में भी यह बात केन्द्र में होगी। इससे सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ेगा। इसलिए सरकार के लिए आर्थिक सुस्ती को दूर करना प्रथम लक्ष्य होगा।
ब्रेग्जिट
ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने या ब्रेग्जिट का रास्ता लगभग साफ हो गया है। 31 जनवरी को इसपर अंतिम फैसला होना है जबकि 31 अक्तूबर 2020 को हस्ताक्षर होगा। ऐसा होने पर भारत को नए तरीके से व्यापार रणनीति बनानी होगी। ताकि वह इस स्थिति में भी अच्छी तरह से व्यापार कर सके।
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