वी-सीआईपी सहमति आधारित होगा। इस डिजिटल तकनीक से बैंकों और दूसरी रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए आरबीआई के केवाईसी नियमों का पालन करना और आसान हो जाएगा।
आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी कर कहा, ‘भारतीय रिज़र्व बैंक ने ग्राहक की पहचान सत्यापित करने के एक सहमति आधारित वैकल्पिक तरीके के रूप में V-CIP को मान्यता देने का निर्णय लिया है। इससे रेगुलेटेड संस्थाओं के कस्टमर आइडेंटिफिकेशन प्रोसेस में डिजिटल चैनल्स का लाभ मिल सकेगा और ग्राहक को सेवाएं देने में और आसानी होगी।’
भारतीय रिज़र्व बैंक का कहना था कि रेगुलेटेड संस्थाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि वीडियो रिकॉर्डिंग का सुरक्षित तरीके से रखा जाएगा और समय व तारीख की मोहर लगाई जाएगी। सर्कुलर के अनुसार, रेगुलेटेड संस्थानों को केवाईसी प्रोसेस के दौरान ग्राहक द्वारा दिखाए गए PAN कार्ड की साफ तस्वीर लेनी होगी। ग्राहक द्वारा e-PAN उपलब्ध कराने की स्थिति में ऐसा नहीं होगा।
आरबीआई ने अपने सर्कुलर में रेगुलेटेड संस्थाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI और चेहरे की मिलान वाली तकनीक जैसी आधुनिक उपलब्ध तकनीकी की सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे ग्राहक द्वारा दी गई जानकारी सुनिश्चित हो और प्रोसेस बिल्कुल ठीक तरीके से रहे। इसके लिए आरबीआई लगातार प्रयास रत है।
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