बचत वह राशि होती है जो आप व्यय नहीं करते हैं। इस नियम के अनुसार यदि आप हर माह अपनी हाय का 10 प्रतिशत व्यय न करके बचा लेते हैं तो आप वास्तव में बचत कर रहे हैं। एक सरल सोच वाला व्यक्ति इसी प्रकार से बचत करता है। अपने पास कैश या नकद रखना एक सामान्य धारणा होती है। लेकिन यह सम्पति के लिए बहुत ही हानिकारक हो सकता है।
बचत और निवेश का निर्णय –Savings and Investment Decisions
यदि आप समय के साथ बचत नहीं करते हैं तो समय के साथ आपके पैसे का मूल्य घटते जाता है और वस्तुओं का मूल्य बढ़ते जाता है। इस कोरोना काल के समय यह देखने को मिला कि जो वस्तु कोरोना काल के पहले 100 रुपये की थी वह अब 5, 10 या 20 रुपये से अधिक मंहगी हो गई है। मंहगाई वह भूख होती है जो बचत को खा जाती है। हम सभी इस बात का बड़ी अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन इस ज्ञान का उपयोग बचत और निवेश का निर्णय लेने में नहीं करते हैं। आपको अपनी बचत को उचित जगह निवेश करने के बारे में भी विचार करना चाहिए।
हर वर्ष महंगाई पिछले वर्ष के आधार पर बढ़ती है– Inflation increases every year on the basis of previous year
जब भी हम दीर्घ अवधी या लंबे समय के लिए जिस तरह से भी बचत करते हैं, इस बात पर ध्यान देने से हमेशा चूक जाते हैं। जिसमें से हममें से बहुत से लोगों को कंपाउंड इंट्रेस्ट (चक्रवृद्धि ब्याज) के बारे में तो पता होता है, लेकिन महंगाई के डीकंपाउंडिंग इंपैक्ट या प्रभाव की समझ नहीं होती हैं। चक्रवृद्धि ब्याज जो लाभ दिलाता है, महंगाई उसको हमेशा खा जाती है। हर वर्ष महंगाई पिछले वर्ष के बेसिस पर बढ़ती है। इस हिसाब से देखे तो यह कंपाउंड इंट्रेस्ट जैसी ही है। एक उदाहरण लेते हैं, जिसमें हम यह मान लेते हैं कि आप एक लाख रुपये की बचत को 7 प्रतिशत वार्षिक रेट पर डिपॉजिट करते हैं। मान लेते हैं कि महंगाई भी 7 प्रतिशत वार्षिक रेट से बढ़ रही है। तो ऐसे में आपका कंपाउंडिंग रिटर्न महंगाई से आगे नहीं निकल सकता है। बल्कि उसके साथ कदमताल मिलता हुए दिखाई देता है।
10 वर्ष बाद भी आपकी बचत से प्राप्त धनी अवस्था-Rich status even after 10 years from your savings
माना कि 10 वर्ष में आपका बचत किया हुआ 1 लाख रुपया 2.16 लाख हो जाता है, लेकिन आप अभी जो वस्तु 1 लाख में क्रय कर सकते हैं, उसका मूल्य भी महंगाई के चलते तब 2.16 लाख रुपये हो जाएगी। इस अर्थ यह हुआ कि 10 वर्ष बाद भी आपकी बचत से प्राप्त धनी अवस्था जस की तस रह जाएगी। एक लाख रुपये की क्रय शक्ति या परचेजिंग पावर 10 वर्ष बाद भी एक लाख रुपये ही रह जाएगा। इस बारे में विचार करके देखिए कि 30 वर्ष पहले 10,000 रुपये प्रति माह आय वाले लोग मध्य वर्ग या मिडल क्लास में माने जाते थे और तब वस्तुओं के दाम कितने सस्ते थे। लेकिन अब इस आय वर्ग और दाम दोनों में बहुत अधिक परिवर्तन हो गया है।
मंहगाई की चाल के हिसाब ढलना होगा– Will have to adapt to the pace of inflation
उल्लेखनीय है कि इस हिसाब से भविष्य के बारे में अंदाजा लगाना उचित नहीं है। अभी आप 40 वर्ष के हैं और जब रिटायर होंगे, तब मध्यवर्गीय जीवन का मासिक खर्च ढाई लाख रुपये होगा। जब आप 80 के होंगे तब आपको 10 लाख रुपये मासिक की आवश्यकता होगी। यह अतिशयोक्ति नहीं है। ऐसा पक्का होगा। लोग हमेशा सामान्य तरीके से सोचते हैं और महंगाई के असर को अनदेखा करते हैं। इसका वास्तविक समाधान यह है कि हम कम महंगाई वाली अर्थव्यवस्था बन जाएं, लेकिन असल अजेंडे में यह बात तो है नहीं, इसलिए बचत करने वालों को ही महंगाई की चाल के हिसाब से ढलना ही होगा।
बचत से दो करोड़ की राशि – 2 crore from savings
यदि आप चाहते हैं कि 20 बर्ष बाद आपके पास वर्तमान समय के हिसाब से 2 करोड़ रुपये की रशि हों तो वास्तविकता में आपको तब लगभग 10 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। ऐसे में आपको तब उतनी राशि पाने के लिए 8 प्रतिशत रिटर्न के साथ अभी से हर माह 1.7 लाख रुपये की बचत करनी होगी। यदि रिटर्न 10 प्रतिशत है तो आपको हर माह 1.3 लाख रुपये की बचत करनी ही होगी।
गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता बचत का मूल्य क्या होगा – What will be the value of savings
इस बात पर बड़ी गंभीरता से विचार करने की आवश्यता है। जो लोग बहुत कम रियल रेट ऑफ रिटर्न वाले डिपॉजिट जैसी सेविंग्स पर निर्भर करेंगे, उनको बुढ़ापे में तंगहाली से बचने के लिए मोटी रकम की बचत करनी होगी। जिन लोगों के पास इन्फ्लेशन अडजस्टेड रेंटल प्रॉपर्टी जैसा इनकम सोर्स नहीं है, उनको यह हिसाब किताब समझने और उसके हिसाब से प्लानिंग पर अमल करने की आवश्यकता है। यह सब बातें आपको भले ही इतनी अर्जेंट या आवश्यक न लगे, लेकिन यह उससे भी अहम है, जो आप अगले वीकेंड के लिए प्लान कर रहे हैं। इसलिए इस बारे में बड़ी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि अगले 10, 20 या 30 वर्षों में आपकी बचत का मूल्य क्या होगा।