भोपाल। विश्व परिदृश्य को देखते हुए डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट और गहराने लगी है। एक डॉलर की कीमत कारोबार के दौरान सोमवार को रिकॉर्ड 82.69 के निचले स्तर तक गई। आखिर में यह 82.34 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ। विशेषज्ञों की मानें तो एक डॉलर की कीमत 83 रुपये की तरफ बढ़ती नजर आ रही है, साथ ही आने वाले दिनों में यह और भी नीचे जा सकता है। हालांकि, मध्यम अवधि में डॉलर की कीमत 82 रुपये के दायरे में रह सकता है।
तमाम वैश्विक मुद्राओं में गिरावट
दुनियाभर में डॉलर की मजबूती से तमाम वैश्विक मुद्राओं में गिरावट देखी जा रही है। उसी मुकाबले रुपये में भी गिरावट देखने को मिल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दिनों में जिस हिसाब से रुपये में तेज गिरावट देखने को मिल रही है यह आने वाले दिनों में 83 के स्तर के भी नीचे जा सकता है।
केयर रेटिंग की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा के मुताबिक अभी रुपये में तेज गिरावट जारी रह सकती है लेकिन तीन से चार महीनों की मध्यम अवधि के दायरे को देखा जाए तो रुपया 82 के स्तर के करीब ही बना रहेगा। उन्होंने कहा कि रुपये की गिरावट से न केवल कच्चे तेल की महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी बल्कि कारोबारियों के लिए कच्चा माल भी महंगा रहेगा।
उत्पाद महंगा होने के आसार
रुपये की गिरावट से भारतीय उत्पाद भी महंगा होने के आसार हैं। विदेशों से आने वाले कच्चे माल के लिए डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपये देने होंगे। वहीं विदेशों में मांग में सुस्ती को देखते हुए बिक्री भी मुश्किल हो जाएगी। ऐसे में निर्यात पर निर्भर कारोबारियों के लिए आने वाले महीने मुश्किल भरे रह सकते हैं। यही नहीं, घरेलू बाजारों में भी वो तमाम सामान महंगा हो जाएगा जो विदेशों से आता है या फिर उनके उत्पादन पर इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल बड़े पैमाने पर विदेश से आता है। रजनी सिन्हा के मुकाबले अगर रुपये में आगे भी इसी तरह तेज गिरावट जारी रही तो उसे रोकने के लिए रिजर्व बैंक को अभी के मुकाबले ज्यादा कड़े कदम उठाने की जरूरत होगी।
कैसे असर डालता है कमजोर रुपया रुपये के कमजोर होने से खाद्य तेल और पेट्रोल-डीजल के लिए जरूरी कच्चा तेल महंगा हो जाता है। इससे जरूरी उत्पादों के दाम बढ़ जाते हैं। इससे दोहरा नुकसान होता है। यदि आप अपने वेतन से हर माह 20 प्रतिशत बचाते हैं तो महंगाई बढ़ने से हो सकता है कि आप 12 से 15 प्रतिशत ही बचत कर पाएं। वहीं एफडी पर सात प्रतिशत ब्याज मिल रहा है लेकिन महंगाई 7.50 प्रतिशत पहुंच जाए तो उस स्थिति में आपको लाभ की अपेक्षा आधा प्रतिशत का नुकसान होता है।