भोपाल। आरबीआई ने 2024 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी का एलान कर दिया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि कमेटी ने पॉलिसी दरों में किसी तरह के बदलाव न करने पर सहमति जताई है। यानी ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। आरबीआई ने रेपो रेट 6.50 प्रतिशत बरकार रखी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हर दो महीने में मॉनिटरी पॉलिसी पर तीन दिवसीय बैठक करता है। इसमें रेपो रेट के साथ कई और अहम निर्णय लिये जाते हैं।
होम बॉयर्स को देगा राहत
हाउसिंग मार्केट में सकारात्मक उछाल की उम्मीद करते हुए लगातार रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने के आरबीआई के फैसले का स्वागत करते हैं। आवास की बढ़ती लागत के बावजूद स्थिर होम लोन घर खरीदारों को राहत देगा। नतीजतन खरीदारों और डेवलपर्स दोनों को स्थिर ब्याज दरों से लाभ होगा, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में उपभोक्ता विश्वास और निवेश में वृद्धि होगी। आरबीआई के फैसले से नए लॉन्च और उभरते हॉटस्पॉट में प्रोजेक्ट्स के विस्तार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट को बढ़ावा मिलेगा
रियलिटी सेक्टर रेपो रेट बरकरार रखने के आरबीआई के फैसले का स्वागत करता है। आरबीआई के इस कदम से स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा और घर खरीदारों और निवेशकों सहित स्टेकहोल्डर के बीच विश्वास बढ़ेगा। हालांकि, 6.5 फीसदी पर रेपो रेट 4 साल के उच्चतम स्तर पर बनी हुई है और इसे वापस लेने से अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट को बढ़ावा मिलेगा।
रियल एस्टेट ने स्वागत किया आरबीआई के फैसले का
रिजर्व बैंक ने आज 2024 में अपनी पहली बैठक में भी रेपो रेट में कोई वृद्धि नहीं की है जो निश्चित रूप से रियल एस्टेट सेक्टर के लिए फायदेमंद है। 2023 में पांच बार लगातार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया था। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को न बढ़ाने के पीछे देश में आर्थिक प्रगति को जारी रखने, महंगाई को काबू में रखने का भी ध्यान रखा है। खरीदारों के साथ-साथ निवेशकों के लिए भी यह काफी राहत भरी खबर है। रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वालों के साथ साथ कर्ज देने वाले बैंकों को भी बड़ी राहत दी है।
आरबीआई गवर्नर का पेटीएम को लेकर बड़ा बयान
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पेटीएम का नाम लिए बगैर सवालिया लहजे में कहा कि अगर नियमों का पालन किया गया होता, तो आरबीआई को एक विनियमित इकाई के खिलाफ कार्रवाई क्यों करनी चाहिए? उन्होंने कहा कि सिस्टम को लेकर कोई चिंता नहीं है, हम केवल पेमेंट बैंक विशेष की बात कर रहे हैं।
निवेश में आएगी तेजी
गवर्नर दास ने कहा कि बैंकों और कॉरपोरेट्स की हेल्थी बैलेंस शीट और सरकार के निरंतर जोर के कारण निश्चित निवेश की संभावनाएं हैं। इसके बाद पूंजीगत व्यय यानी कैपेक्स में तेजी देखने को मिलेगी।
अप्रैल में होगी अगली एमपीसी बैठक
हर दो महीने में एमपीसी बैठक होती है। अब अगली बैठक 3 से 5 अप्रैल 2024 के दौरान होगी।
शेयर मार्केट में गिरावट
आरबीआई की एमपीसी के एलान के बाद शेयर मार्केट में गिरावट देखने को मिली है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक सेंसेक्स 450 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी में 125 अंक गिरा है।
ई-रुपी
आज आरबीआई गवर्नर ने बताया कि ऑफलाइन ई-रुपये के लिए जल्द ही केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पायलट प्रोजेक्ट पेश किया जाएगा।
कमोडिटी की कीमतों पर दबाव
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से सप्लाई चेन पर असर पड़ रहा है। इससे कमोडिटी की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
मई में 250 अंक बढ़ाया था रेपो रेट
आरबीआई ने महंगाई के खिलाफ लड़ाई में मई 2022 से रेपो दर को संचयी रूप से 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। रेपो रट महंगाई को काबू करने के लिए किया जाता है।
सीमित दायरे में रुपया
आरबीआई एमपीसी बैठक के फैसलों के एलान के बाद डॉलर के मुकाबले रुपया सीमित दायरे में कारोबार कर रहा था। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा में रुपया डॉलर के मुकाबले 82.94 पर खुला और डॉलर के मुकाबले 82.96 पर कारोबार कर रहा था। केंद्रीय बैंक ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 पीसी पर बरकरार रखा।
निवेश चक्र में तेजी
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि ग्रामीण मांग में तेजी जारी है वहीं शहरी खपत मजबूत बनी हुई है। इसके अलावा पूंजीगत व्यय में वृद्धि के कारण निवेश चक्र में तेजी आ रही है।
भारती करेंसी में कम अस्थिरता
2023-24 में भारतीय रुपये में सबसे कम अस्थिरता देखी गई। इसके अलावा विनिमय दर भी स्थिर बनी हुई है।
शेयर बाजार में गिरावट
एमपीसी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। इस फैसले के बाद शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है। सेंसेक्स 204 अंक और निफ्टी 45 अंक टूटकर कारोबार कर रहे हैं।
रिटेल महंगाई दर
एमपीसी बैठक में लिये गए फैसलों का एलान करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रबी फसलो की बुआई में प्रगति देखने को मिली है। इसके अलावा आगामी वित्त वर्ष में रिटेल महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2024 में रिटल महंगाई का अनुमान 5.4 फीसदी है। वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में रिटेल महंगाई दर 4,7 फीसदी हो सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार
भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 622.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है। अब हम सभी विदेशी दायित्वों को पूरा करने के लिए काबिल है।
भारत का सर्विस एक्सपोर्ट
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के दौरान भारत का सेवा निर्यात लचीला रहा।
फाइनेंशियल सिस्टम लचीली
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हेल्थी बैलेंस शीट के साथ घरेलू फाइनेंशियल सिस्टम लचीली बनी हुई है
रेवर्स रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव
आरबीआई गवर्नर ने क्रेडिट पॉलिसी फैसले का एलान करते हुए कहा कि समिती के 6 में से 5 मेंबर्स ने दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। इसके अलावा रेवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया है। वहीं एमएसएफ रेट और बैंक रेट6.75 फीसदी पर स्थिर रखना का फैसला लिया गया है। इसके अलावा एसडीएफ भी 6.25 फीसदी पर स्थिर है।
जीडीपी ग्रोथ
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी 7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है।
FY25 पहली तिमाही में 7.2 प्रतिशत
FY25 दूसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत
FY25 तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत
FY25 चौथी तिमाही 6.9 प्रतिशत रह सकती है।
सीपीआई महंगाई दर
दिसंबर में सीपीआई महंगाई दर 5.69 फीसदी रही। सरकार ने आरबीआई को सीपीआई मुद्रास्फीति को दोनों तरफ 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
महंगाई दर
वित्त वर्ष 2025 के लिए सीपीआई महंगाई दर का अनुमान 4.5% है
FY25Q1 के लिए CPI महंगाई दर का अनुमान 5% है
FY25Q2 के लिए CPI महंगाई दर अनुमान 4%
FY25Q3 के लिए CPI महंगाई दर अनुमान 4.6%
FY25Q4 के लिए CPI महंगाई दर अनुमान 4.7%
खाद्य कीमतों में तेजी
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खाद्य कीमतों में अनिश्चितता का मुख्य मुद्रास्फीति पर असर जारी है।
कम नहीं होगी EMI
रेपो रेट का सीधा असर लोन पर देखने को मिलता है। अगर रेपो रेट बढ़ता हो तो ईएमआई भी बढ़ती है। अगर रेपो रेट कम होता है तो ईएमआई भी कम होती है। ऐसे में इस बार भी रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। इसका मतलब है कि ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा।
रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर बरकार
आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी बैठक का एलान करते हुए कहा कि इस बार भी समिति ने रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया है। इसका मतलब है कि रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर रहेगी।
क्या है एक्सपर्ट की राय
सभी सेक्टर के विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक लगातार छठी बार रेपो दर के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा।वर्तमान में मुख्य रूप से महंगाई पर चिंताओं के कारण 6.5 प्रतिशत है।
मौजूदा महंगाई दर
दिसंबर 2023 में भी रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया था। वर्तमान में रेपो रेट 6.5 फीसदी है।
उच्च महंगाई दर
चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट आई है। जुलाई 2023 में खुदरा महंगाई दर उच्च स्तर पर पहुंच गई थी, यह 7.44 फीसदी थी। वहीं दिसंबर 2023 में 5.69 प्रतिशत थी।
फरवरी 2023 में हुआ था रेपो रेट में बदलाव
रिजर्व बैंक ने एक साल के लिए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए आखिरी बार फरवरी 2023 में 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दी गई थी।
दिसंबर में हुआ था पिछला एमपीसी बैठक
पिछला एमपीसी बैठक 8 दिसंबर 2023 को हुआ था। इस बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया था। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने से बैंक अपने लोन की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करेंगे।
बता दें कि आरबीआई ने पांचवी बार रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया था।
एमपीसी बैठक में किस पर नजर रखी जाती है?
देश में महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई द्वारा हर दो महीने में एमपीसी बैठक होती है। इस बैठक में सबसे मुख्य फैसला रेपो रेट होता है। बता दें कि रेपो रेट एक तरह का ब्याज दर होता है। रेपो रेट के ब्याज दर पर ही आरबीआई देश के बाकी बैंक को कर्ज देती है।
क्या होता है रेपो रेट?
केंद्रीय बैंक देश के बाकी बैंक को कर्ज देती है। यह कर्ज जिस ब्याज दर पर दिया जाता है उसे रेपो रेट कहते हैं। ऐसे में जब आरबीआई रेपो रेट को कम करने का फैसला लेती है तो ग्राहक के कम ब्याज दर पर लोन मिलता है। वहीं, रेपो रेट के बढ़ जाने पर लोन की दरों में बढ़त होती है। रेपो रेट के हिसाब से ही बैंक ग्राहक को होम लोन, व्हीकल और बाकी लोन देती है।