<![CDATA[केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने प्रतिभूति विनिमय कर (एसटीटी) का भुगतान किए बिना शेयर खरीदने वाले सही या वाजिब सौदों को राहत दी है। इस संबंध में आज जारी अंतिम दिशानिर्देशों के अनुसार सीबीडीटी ने इंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शंस (इसॉप्स) को और ठीक तरीके से मंजूरी हासिल करने वाले विलय एवं अधिग्रहण सौदों को एकदम स्पष्टï रियायत दे दी। इसके अलावा उसने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के तहत हासिल किए गए शेयरों को भी एसटीटी से राहत दे दी है। अंतिम दिशानिर्देशों में छोटे शेयरों या चवन्नी शेयरों के जरिये कर चोरी रोकने पर ध्यान दिया गया है। सीबीडीटी ने उन संस्थागत निवेशकों और सूचीबद्ध बैंकों को भी इस प्रावधान से मुक्ति दे दी है, जिन्होंने एसटीटी दिए बगैर ही शेयर खरीदे थे। लेकिन यह राहत केवल उन्हीं संस्थानों को दी जाएगी, जो भारतीय सेबी) के पास क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर (क्यूआईबी) के रूप में पंजीकृत हैं। अगर शेयर बिना एसटीटी भरे खरीदे गए हैं तो केवल तीन परिस्थितियों में ही पूंजीगत लाभ कर देना होगा। पहली, जब सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर ऐसी कंपनियों में तरजीही आवंटन के जरिये खरीदे गए हैं, जिन कंपनियों के शेयरों का स्टॉक एक्सचेंजों में बहुत कम कारोबार होता है। ऐसे कम कारोबार वाले शेयर वे होते हैं, जिनमें ऑपरेटर चवन्नी शेयरों के भाव में गड़बड़ी करते हैं। कर विभाग अभी ऐसे कई मामलों की जांच कर रहा है, जहां चवन्नी शेयरों में संदिग्ध सौदों के जरिये काला धन इधर से उधर किया गया है और कर बचा लिया गया है। इन प्रावधानों से सीबीडीटी ने सूचीबद्ध इकाइयों के लिए पंूजीगत लाभ कर की मौजूदा प्रणाली में कई खामियां दूर कर दी हैं। केपीएमजी में पार्टनर एवं नैशनल हेड (टैक्स) गिरीश वनवारी कहते हैं, 'यह दिशानिर्देश विस्तृत, सीधे और सरल हैं। इनमें सभी वाजिब चिंताएं दूर करने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही उन निवेशकों पर नकेल भी कसी गई है, जो दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर कर छूट का इस्तेमाल काले धन को इधर से उधर करने में करते हैं।' दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर की दूसरी स्थिति वह होगी, जहां शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज के जरिये नहीं बल्कि अलग से हासिल किया गया है। तीसरी स्थिति वह है, जहां निवेशक किसी कंपनी के एक्सचेंज से हटने के बाद उसके शेयर खरीद लेता है और उसके दोबारा एक्सचेंज पर आने यानी सूचीबद्ध होने के बाद उन्हें बेच देता है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि सीबीडीटी को जो प्रतिक्रियाएं मिली थीं, उन्हें ध्यान में रखते हुए उसने अंतिम दिशानिर्देश में रियायतों की लंबी सूची तैयार की है और इससे निवेशकों की चिंताएं दूर हो जाएंगी। इस रियायत से केवल वे निवेशक बाहर रहेंगे, जिन्हें सेबी ने क्यूआईबी की मान्यता नहीं दी है। शेयरों के सौदे अगर बाजार से बाहर हुए हैं तो कैटेगरी 3 ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स , पोर्टफोलियो मैंनेजमेंट सर्विसेस (पीएमएस) के निवेश और वेंचर कैपिटल (फंड) पर पूंजीगत लाभ कर लागू होगा। वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में कहा गया था कि 1 अक्टूबर 2004 और उसके बाद खरीदे गए शेयरों के लेनदेन पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर से छूट तभी मिलेगी, जब उनकी खरीदारी के वक्त एसटीटी का भुगतान हो चुका है। हालांकि जिन सौदों में वाकई में एसटीटी का भुगतान नहीं हो सका था, वे इस घोषणा की जद से बाहर थे। इसे देखते हुए सीबीडीटी ने सभी संबंधित पक्षों के विचार जानने के बाद अधिसूचना जारी की।]]>