<![CDATA[वस्तु एवं सेवा कर कानून (जीएसटी) के अमल में आने के बाद म्युचुअल फंड प्रोडक्ट्स पर असर परेगा. जीएसटी के बाद म्युचुअल फंड काफी महंगे हो जाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि जीएसटी काउंसिल ने फाइनेंशियल सर्विसेज पर सर्विस टैक्स को बढ़ा दिया है। इसे अब 18 फीसद कर दिया है जो पहले 15 फीसद पर था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार आगामी 1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर को लागू करना चाहती है। यूलिप पर देना होगा ज्यादा कर: जीएसटी के लागू होने के बाद आपको यूलिप पर 18 फीसद के हिसाब से कर देना होगा क्योंकि जीएसटी काउंसिल ने इस तरह के प्रोडक्ट्स पर कर की सीमा को 15 फीसद से बढ़ाकर 18 फीसद कर दिया है। जीएसटी और म्युचुअल फंड: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) म्युचुअल फंड हाउसेस की लागत को बढ़ा सकता है। क्योंकि जीएसटी के अंतर्गत म्युचुअल फंड हाउसेस को 3 फीसद का अतिरिक्त सेवा कर देना होगा और इस वजह से देश भर के म्युचुअल फंड हाउसेस का खर्च अनुपात (एक्सपेंस रेश्यो) भी 3 फीसद तक बढ़ जाएगा। आपको बता दें कि खर्च अनुपात (एक्सपेंस रेश्यो) एक निवेश कंपनी की ओर से अपने म्युचुअल फंड को संचालित करने के लिए लागत की माप है। हालांकि जीएसटी, उन छोटे एमएफ डिस्ट्रीब्यूटरों को लाभान्वित कर सकता है, जिनकी वार्षिक आय 20 लाख रुपए से कम है। सरकार ने जीएसटी के अंतर्गत उन डिस्ट्रीब्यूटर्स को सेवा कर का भुगतान न करने की छूट प्रदान की है जिनकी सालाना आय 20 लाख रुपए तक है। मौजूदा समय में जो भी डिस्ट्रीब्यूटर्स सालाना 10 लाख रुपए तक की कमाई करते हैं उन्हें सेवा कर का भुगतान न करने की छूट प्राप्त है। पीपीएफएएस म्युचुअल फंड के चेयरमैन और चीफ एक्जीक्यूटिव नील पराग पारिख ने बताया, “हम किसी भी नतीजे तक पहुंचने से पहले हम एक साफ साफ तस्वीर सामने आने का इंतजार कर रहे हैं, मैं अभी तक जो समझा हूं उस हिसाब से खर्च अनुपात में धीरे-धीरे इजाफा होगा।” उन्होंने कहा कि मेरी कंपनी में डायरेक्ट प्लान के लिए खर्च अनुपात मौजूदा समय में 1.8 फीसद है और रेग्युलर प्लान कतके लिए यह 2.3 फीसद है, जिसके साथ 15 फीसद का सेवा कर भी शामिल है। अगर किसी सूरत में सेवा कर बढ़कर 18 फीसद होता है, तो इसी हिसाब से हमारा खर्च अनुपात भी बढ़ जाएगा]]>