<![CDATA[अगर कोई कंपनी अपने कर्मचारी को कारोबार बढ़ाने के एवज में साल भर में 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के उपहार देती है तो उस पर जीएसटी लगेगा। हालांकि 50,000 रुपए से कम राशि के गिफ्ट पर यह नहीं लगेगा। वित्त मंत्रालय ने गिफ्ट पर जीएसटी के बारे में चल रही तरह-तरह की अफवाहों को शांत करते हुए यह बात कही है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि एक कर्मचारी द्वारा उसके नियोक्ता को दी गई सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। वैसे जीएसटी कानून में गिफ्ट शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। आम तौर पर बिना किसी वस्तु या सेवा के एवज में दी गई राशि या वस्तु को उपहार माना जाता है। इसे अधिकार के तौर पर नहीं मांगा जा सकता। कहां लगेगा जीएसटी और कहां नहीं मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है अगर कोई नियोक्ता अपने कर्मचारियों को क्लब, हेल्थ और फिटनेस सेंटर की मुफ्त सुविधा दे रहा है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। हालांकि नियोक्ता जब इस तरह की सेवाएं कर्मचारियों के लिए खरीदेगा तो उसे जीएसटी का भुगतान करना होगा। मंत्रालय के मुताबिक नियोक्ता की ओर से कर्मचारी को दिए जाने वाले मुफ्त आवास की सुविधा के मामले में भी यही बात है। अगर कर्मचारी को आवास की सुविधा कॉस्ट टू कंपनी यानी सीटीसी पैकेज के रूप में मिलती है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। केंद्र सरकार ने सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत रखने के फैसले का बचाव किया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि जीएसटी लागू होने से पहले सेनिटरी नैपकिन पर कुल टैक्स भार 13.68 प्रतिशत था। मंत्रालय का यह भी कहना है कि सेनिटरी नैपकिन को बनाने के लिए जो कच्चा माल इस्तेमाल होता है उस पर जीएसटी की दर 12 या 18 प्रतिशत है। इसके बावजूद सेनिटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत रखी गई है। ऐसे में अगर सेनिटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर घटाकर 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत या शून्य कर दी जाती है तो सरकार विदेश से होने वाले सेनिटरी नैपकिन के आयात पर टैक्स नहीं लगा पाती, जिससे इनकी मैन्युफैक्चरिंग करने वाली घरेलू इकाइयों को नुकसान होगा।]]>