भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल डाटा भारत में ही स्टोर करने के कड़े नियमों की समीक्षा करेगा। सरकार की तरफ से मंगलवार को ऐसा कहा गया। मास्टरकार्ड और वीजा जैसी कुछ विदेशी कंपनियों ने इन नियमों के प्रति आपत्ति जताई है। यह ऐसा मसला है, जिससे न केवल मास्टरकार्ड जैसी कंपनियां परेशान हैं, बल्कि अमेरिकी सरकार भी नाराज है। इन नियमों की समीक्षा का फैसला ऐसे समय किया गया है, जब भारत और अमेरिका के बीच आपसी व्यापार को लेकर तनाव बढ़ गया है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ देश में डाटा से संबंधित नियमों पर चर्चा की थी। बैठक में शामिल कंपनियों ने आरबीआइ के सख्त निर्देश पर चिंता जताई थी। इसके बाद आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो ने उद्योग के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि आरबीआइ इस मामले पर गौर करेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल अप्रैल में विदेशी पेमेंट कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया था कि वे पर्यवेक्षण के नजरिए से अपने-अपने पेमेंट्स डाटा भारत में स्थित कंप्यूटर में ही स्टोर करें। विदेशी कंपनियों को भारत में डाटा स्टोर करने के लिए अतिरिक्त निवेश करना होगा। लेकिन सरकार का मानना है कि देश में डाटा स्टोर करने से उनकी सही तरीके से निगरानी की जा सकेगी। बयान के मुताबिक मास्टरकार्ड के सीईओ अजय बंगा ने भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक में हिस्सा लिया था।
बैठक में ई-कॉमर्स नीति के मसौदे पर भी चिंता जताई गई। प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति में भारत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया और सर्च इंजन जैसे स्रोतों के उपयोग से बने डाटा का स्टोरेज भारत में ही करने का नियम है। रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी भारतीय कंपनियों ने जहां डाटा के स्थानीय स्टोरेज का समर्थन किया है, वहीं फेसबुक, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और मास्टरकार्ड जैसी कंपनियों ने इस पर आपत्ति जताई है। गोयल ने उद्योग के प्रतिनिधियों का आश्वस्त किया कि उनकी सभी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा। मंत्री ने उद्योग के प्रतिनिधियों को अपनी चिंता लिखित रूप में 10 दिनों के अंदर भेजने के लिए कहा। देश के लिए इस समय डाटा के दुरुपयोग को रोकना बहुत जरूरी हो गया है।
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