देश में स्टार्टअप में निवेश को लेकर बहुत चार्चा होती है। इस समय स्टार्टअप निवेशकों के लिए एक बहुत अच्छा माध्यम जहा वह अपना पैसा लगा सकते हैं। लेकिन क्या सभी स्टार्टअप में पैसा लगाना उचित होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए। देश के नामी उद्योगपति रतन टाटा ने देश के स्टार्टअप को सचेत करते हुए कहा था कि निवेशकों के पैसे को धुएं न उड़ाएं। यह बात रतन टाटा ने
मंगलवार को एक कार्यक्रम में कही जहा उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। रतन टाटा को ये अवार्ड इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने दिया। इसके बाद जो हुआ, उसने हर किसी के दिल को छू लिया। हुआ यू कि अवार्ड देने के बाद 73 वर्षीय नारायणमूर्ति ने 82 साल के रतन टाटा पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। उल्लेखनीय है कि देश की दो बड़ी आईटी कंपनियों की बात होती है तो टाटा ग्रुप की टीसीएस और इन्फोसिस का नाम सबसे पहले आता है। आईटी सेक्टर में टीसीएस और इन्फोसिस, दोनों सॉफ्टवेयर कंपनियां एक-दूसरे की प्रतिद्वंदी हैं। भारतीय मूल्यों की कद्र करने वाले नारायण मूर्ति और रतन टाटा ने जो प्रस्तुत किया वह हमारी भारतीय संस्कृती को दर्शाता है।
इस कार्यक्रम के दौरान रतन टाटा ने स्टार्टअप कंपनियों को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि निवेशक के पैसों को धुएं में उड़ाने वाले स्टार्टअप को दूसरा या तीसरा मौका नहीं मिलेगा।
टाटा का कहना था कि , ‘‘हमारे सामने ऐसी स्टार्टअप कंपनियां भी हो सकती हैं जो हमारा ध्यान खीचेंगी, पैसा जुटाएंगी और गायब हो जाएंगी। लेकिन ऐसी कंपनियों को दूसरा और तीसरा मौका नहीं मिलेगा।’’
रतन टाटा का यह बयान ऐसे समय आया है जब कई स्टार्टअप कंपनियों पर निवेशकों का ‘बर्बाद’ करने का आरोप लग रहा है। निवेशकों ने बेहतर भविष्य की आशा में इन कंपनियों में पैसा लगाया है जबकि यह कंपनियां लगातार घाटे में चल रही हैं। बता दें कि टाटा ने खुद भी कई स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया है। अतैव यह बात उन स्टार्टअप कंपनियों के लिए एक सबक है जिन्होंने किसी निवेशक से पैसे लिए हैं। उन्हें इसके लिए उत्तरदायी होना चाहिए।
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