<![CDATA[ सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में आप जल्द ही म्युचुअल फंडों की तरह अपने हिसाब से निवेश कर सकेंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड योजना के नए अवतार को मंजूरी दी है, जिसे अच्छी सफलता मिलने की संभावना है। इस बदलाव का मकसद निवेशकों को बॉन्ड की नई किस्त की घोषणा का इंतजार करने के बजाय हर समय इसमें निवेश के मौके उपलब्ध कराना है। गोल्ड बॉन्ड की सालाना खरीद सीमा में भी भारी बढ़ोतरी की गई है। व्यक्तिगत तौर पर कोई व्यक्ति एक साल में अधिकतम 4 किलोग्राम तक के गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है जबकि पहले यह सीमा 500 ग्राम तक सीमित थी। इसी तरह ट्रस्टों एवं अधिसूचित संस्थाओं के लिए निवेश सीमा 20 किलोग्राम तक कर दी गई है। निवेशकों के पास इस बॉन्ड को म्युचुअल फंडों के सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की तरह खरीदने या डाकघरों के जरिये बॉन्ड की आवर्ती जमा शुरू करने का भी विकल्प होगा। निवेशकों के पास आजादी होगी कि वे अपनी जेब के हिसाब से कभी भी इन बॉन्डों को खरीद सकते हैं। इसके साथ ही अहम मौकों पर इन्हें उपहार में भी दे सकते हैं और जब कीमत कम हो तब भी इसमें निवेश कर सकते हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि ये आसानी से किस प्रकार उपलब्ध होंगे। क्या बॉन्डों की रोजाना पेशकश की जाएगी और प्रतिदिन उनकी कीमत तय की जाएगी? या फिर कोई अन्य प्रणाली होगी? एक दिग्गज सराफा विश्लेषक ने कहा, 'आसानी से उपलब्धता का यह मतलब हो सकता है कि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड मामूली समय अंतराल के बाद जारी किए जाएंगे और इनकी अलग खूबियां होंगी।' मंत्रिमंडल के फैसले के बाद यह कहा गया, 'वित्त मंत्रालय को विभिन्न प्रकार के सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की डिजाइन तैयार करने और इन्हें पेश करने में छूट दी गई है, जिनमें अलग-अलग ब्याज दरें और जोखिम सुरक्षा/भुगतान होगा। यह विभिन्न निवेशक वर्गों को विकल्प मुहैया कराएगा।' इसमें यह भी कहा गया था कि बॉन्ड की खूबियों में बदलाव किया गया है ताकि बॉन्ड की किस्तों के बीच में समय अंतराल ज्यादा न हो और ये बदलते एवं उतार-चढ़ाव वाले बाजार तथा सोने की कीमत जैसी अन्य स्थितियों से निपटने में सक्षम हों। हालांकि अलग-अलग विशेषताओं वाले बॉन्डों के लिए कीमत बेंचमार्क महत्त्वपूर्ण होगा। इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) ने सुझाव दिया है कि ये बॉन्ड उनके पिछले दिन की बंद कीमत या पिछले एक सप्ताह की औसत बंद कीमत पर जारी किए जाएं। एक विशेषज्ञ ने सुझाव दिया कि नियमित बॉन्ड पेशकश की कीमत तय करने के लिए मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सभी स्वर्ण अनुबंधों की औसत कीमत के बारे में विचार किया जा सकता है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आशीष चौहान ने कहा, 'यह स्वागत योग्य कदम है। निवेशक निवेश सीमा में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे। इसी तरह आसान उपलब्धता से लोगों के लिए कभी भी खरीदारी करना संभव होगा। मार्केट मेकिंग से निवेशकों को तरलता मुहैया होगी। कुल मिलाकर इससे सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में निवेश का आकर्षण बढ़ेगा।' यह पूछने पर कि इन बॉन्डों को कभी भी आसानी से कैसे बेचा जा सकेगा तो उन्होंने बताया, 'एक्सचेंज के बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कर इन्हें म्युचुअल फंडों की तरह कभी भी आसानी से बेचना संभïव है। जब किसी निवेशक को बॉन्ड जारी किए जाते हैं तो इन्हें अतिरिक्त बॉन्डों के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है। यह प्लेटफॉर्म मुहैया कराने के लिए एक्सचेंजों के पास तकनीक उपलब्ध है।' उन्होंने कहा, 'गोल्ड बॉन्ड में भारत का सालाना व्यापार घाटा 15 से 20 अरब डॉलर (96,000 से 1.2 लाख करोड़ रुपये) कम करने की क्षमता है।' जीएफएमएस थॉमसन रॉयटर्स के प्रमुख विश्लेषक (कीमती धातु मांग) सुधीश नांबियथ कहते हैं, 'सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं है और न ही इन्हें रखने की लागत आती है। इसलिए ये किसी व्यक्ति के पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिहाज से आकर्षक हैं। इससे हर साल 50 टन सोने की निवेश मांग को सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की तरफ मोडऩा आसान होगा।' आज की कीमत के हिसाब से 50 टन सोने का मूल्य 14,250 करोड़ रुपये या 2.2 अरब डॉलर बैठता है। सरकार के मुताबिक सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में वित्त वर्ष 2016 में 4,769 करोड़ रुपये का निवेश हुआ जबकि लक्ष्य 15,000 करोड़ रुपये का था। वित्त वर्ष 2017 में निवेश 10,000 करोड़ रुपये रहा है। अगर यह योजना उम्मीद के मुताबिक सफल रही तो भौतिक सोने की मांग घटेगी और इससे आयात में भी कमी आएगी। हाल के वर्षों में भौतिक सोने में निवेश की मांग हर साल 160 से 200 टन के बीच रही है। हालांकि ये आंकड़े तो उपलब्ध नहीं हैं कि कितने निवेशकों की गोल्ड बॉन्ड में पहले की सालाना 500 ग्राम की निवेश सीमा पूरी हो चुकी है। लेकिन अब इस योजना में संशोधन से अमीर निवेशकों, ट्रस्टों और संस्थानों के लिए गोल्ड बॉन्ड में और ज्यादा पैसा लगाना संभव होगा। ]]>