आर्थिक स्‍तर पर कैसा रहा वित्त वर्ष – रूपये में ऐतिहासिक गिरावट, सेंसेक्स ने 42 हजार अंक को पार किया

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नए वित्त वर्ष की शुरुआत कल से 1 अप्रैल से हो जाएगी। नए वित्त वर्ष में प्रवेश करने से पहले हम  एक बार पीछे मुड़कर इस वर्ष की स्थिति को जानना जरूरी है।  चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्‍यवस्‍था से जुड़े कुछ अहम जानकारी से अवगत कराते हैं।

शेयर मार्केट

चालू वित्त वर्ष (2019-20) के पहले दिन यानी 1 अप्रैल 2019 को जब भारतीय शेयर बाजार में कारोबार हुआ तो इस दिन सेंसेक्स 39000 अंक के स्तर के पास था, जो 23 मई 2019 को 40 हजार के स्तर को पार कर लिया।  निफ्टी ने भी 12 हजार अंक के स्तर को पार कियां। ये वो दिन था जब लोकसभा चुनाव के नतीजे जारी हुए थे। इसके बाद नई सरकार के द्वारा जुलाई में आम बजट पेश किया और बजट के बाद बाजार में बड़ी गिरावट का दौर शुरू हो गया ।

हालांकि, सरकार की ओर से अर्थव्‍यवस्‍था को बूस्ट देने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती समेत कुछ अहम फैसले लिए गए। वहीं, इकोनॉमी के लिहाज से ग्लोबली भी अच्छी खबरें मिलीं। इस वजह से बाजार ने 42 हजार अंक के स्तर को भी पार किया। सेंसेक्स का अब नया उच्चतम स्तर 42273.87 अंक है। सेंसेक्स ने ये रिकॉर्ड हाई 20 जनवरी 2020 को टच किया। इसके बाद फरवरी में आम बजट से निवेशकों को बड़ी निराशा हुई। इस बीच, कोरोना वायरस का प्रकोप भी दिखा। नतीजा ये हुआ कि 15 दिन के भीतर दो बार लोअर सर्किट की वजह से बाजार में कारोबार को बंद करना पड़ा।

जीडीपी

केन्‍द्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अब तक तीन तिमाही के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) ग्रोथ रेट के आंकड़े जारी किए हैं। वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही (सितंबर-दिसंबर) के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4.7 फीसदी पर आ गई है। करीब 6 साल बाद जीडीपी के आंकड़े इतने निराशाजनक रहे हैं। इसके अलावा सरकार ने 2019-20 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट को संशोधित कर 5.6 फीसदी और दूसरी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी कर दिया हैं। जीडीपी पर करोना प्रभाव का असर भी देखने को मिलेगा।

रुपये

रुपये की बात करें तो ये इन दिनों ऐतिहासिक रूप से अपने सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। पूरे साल रुपये में बेहद कम मौकों पर रिकवरी देखने को मिली।  यही वजह है कि 1 अप्रैल 2019 को भी रुपया 70 रुपये प्रति डॉलर के करीब थां।  वहीं 23 मार्च 2020 को 100 पैसे की जबरदस्त गिरावट के बाद 76.20 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।  ये अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसका एक कारण ग्‍लोबल हो रही हलचल भी है।

कच्चा तेल

चालू वित्त वर्ष के पहले दिन यानी 1 अप्रैल 2019 को पेट्रोल 72 रुपये के स्तर पर था जो अब साल के अंत में 69 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर है। महत्‍वपूर्ण बात यह है कि पेट्रोल के दाम इस साल 69 रुपये से नीचे नहीं गए हैं। ये तब है जब कोरोना वायरस के प्रभाव की वजह से कच्चे तेल के दाम रिकॉर्ड 18 साल के निचले स्तर पर हैं। बता दें कि ग्लोबल मार्केट में जब क्रूड सस्ता होता है तो अमूमन पेट्रोल-डीजल के दाम घटते हैं। इसके उलट सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में प्रति लीटर तीन रुपये की वृद्धि कर दी है। लेकिन तेल के दामों में आई गिरावट से अर्थव्‍यवस्‍था पर कितना असर करता है। यह देखने को मिलेगा।

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