चाणक्‍य सूत्र और शायरी के साथ निर्मला ने शुरू किया बजट भाषण

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केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री निर्मल सीतारमण ने अपना (खाता-बही)बजट भाषण की शुरूआत चाणक्‍य के सूत्र व शायरी के साथ की उन्‍होने बताया कि 2014 में अर्थव्यवस्था 1.8 ट्रिलियन डॉलर थी जो पांच साल में बढ़कर यानी 2019 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गई और अब इसे बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करना है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश कर रही हैं। लोकसभा में बजट भाषण के दौरान उन्होंने सरकार की मंशा जाहिर करते हुए चाणक्य नीति और उर्दू शायरी का इस्तेमाल किया।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि  ‘चाणक्य नीति कहती है- कार्य पुरुषा करे, ना लक्ष्यम संपा दयाते’  अर्थात्  इच्छाशक्ति के साथ किए प्रयासों से लक्ष्य जरूर हासिल कर लिया जाता है।  इसके साथ ही निर्मला सीतारमण ने उर्दू की एक शायरी भी पढ़ी। जो कुछ इस प्रकार थी , ‘यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है’।

ये शायरी उर्दू के मशहूर शायर मंजूर हाशमी की है जिसका मतलब है कि अगर आपको खुद पर यकीन हो तो हवा का सहारा लेकर भी चिराग जल जाता है।

दरअसल, वित्त मंत्री ने चाणक्य नीति और मंजूर हाशमी की शायरी का उदाहरण इसलिए दिया क्योंकि वह उस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था के 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य की बात कर रही थीं।  उन्होंने बजट भाषण में बताया कि 2014 में अर्थव्यवस्था 1.8 ट्रिलियन डॉलर थी जो पांच साल में बढ़कर यानी 2019 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गई और अब इसे बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करना है।

साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के लिए मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए  बुनियादी ढांचे में भारी निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ रोजगार निर्माण और लोगों की आशा, विश्वास और आकांक्षाएं जरूरी है।

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