रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट में कमी का ऐलान कर दिया। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई छोटी समय सीमा के लिए बैंकों को कर्ज देता है। आरबीआई ने उम्मीद के मुताबिक रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है। इसके अलावा बैंक की ओर से रिवर्स रेपो रेट को भी 0.25 फीसदी घटकर 5.75 फीसदी कर दिया गया है। आपको बता दें कि इससे पहले यह दर छह फीसदी थी। सीआरआर में भी आरबीआई ने चार फीसदी की कटौती की है। आरबीआई ने अक्टूबर 2016 में इसमें कटौती की थी। वर्तमान समय में जो छह प्रतिशत की दर है वह नवंबर 2010 के बाद से सबसे कम है।
आम आदमी को फायदा क्या होगा
मौद्रिक नीति समिति ने निजी निवेश में नई जान फूंकने, बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने तथा प्रधानमंत्री आवास योजना पर विशेष जोर देने की जरूरत पर बल दिया। लेकिन जो सवाल आम आदमी के लिए सबसे अहम है वह है कि आरबीआई के इस फैसले से उसे कितना लाभ मिलेगा। एक नजर डालिए कि आरबीआई के इस फैसले से एक आम आदमी को क्या फायदा हो सकता है?
आरबीआई जब रेपो रेट में कटौती करता है तो प्रत्यक्ष तौर पर बाकी बैंकों पर वित्तीय दबाव कम होता है।
आरबीआई की ओर से हुई रेपो रेट में कटौती के बाद बाकी बैंक अपनी ब्याज दरों में कटौती करते हैं।
इसकी वजह से आपके होम लोन और कार लोन की ईएमआई में कमी आती है।
रेपो रेट कम होता है तो महंगाई पर नियंत्रण लगता है।
ऐसा होने से देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़े स्तर पर फायदा मिलता है।
ऑटो और होम लोन क्षेत्र को फायदा होता है। रेपो रेट कम होने से कर्ज सस्ता होता है और उससे होम लोन में आसानी होती है।
ऐसी कंपनियां जिन पर काफी कर्ज है उन्हें भी फायदा होता है क्योंकि रेपो रेट कम होने के बाद उन्हें पहले के मुकाबले कम ब्याज चुकाना होता है।
आरबीआई के इस फैसले से प्राइवेट सेक्टर में इनवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलता है। इस समय देश में निवेश को आकर्षित करना सबसे बड़ी चुनौती है। इनफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ता है और सरकार को इस सेक्टर को मदद देने के लिए बढ़ावा मिलता है।
रेपो रेट कम होता है तो कर्ज सस्ता होता है और इसके बाद कंपनियों को पूंजी जुटाने में और आसानी होती है।