<![CDATA[माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद पहली बार दाखिल रिटर्न में करीब 95 हजार करोड़ रुपये का टैक्स संग्रहण हुआ, लेकिन कंपनियों ने जीएसटी व्यवस्था में जाने से पहले के 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट दावे भी किए हैं. इन दावों को लेकर सीबीईसी ने एक करोड़ रुपये से अधिक के सभी दावों की जांच का फैसला किया है. 1 जुलाई से लागू हुई जीएसटी व्यवस्था के तहत कंपनियों को पुरानी व्यवस्था के अंतर्गत किए गए स्टॉक की खरीद पर चुकाए गए कर के क्रेडिट का दावा करने की सुविधा दी गई है. बता दें कि यह सुविधा जीएसटी लागू होने के छह महीने बाद तक के लिए ही उपलब्ध है। सीबीईसी ने कंपनियों और उद्यमियों की ओर से किए गए भारी-भरकम दावों को देखते हुए मुख्य आयुक्तों को 11 सितंबर को पत्र भेजा है. उसमें बोर्ड ने कहा कि 162 कंपनियों द्वारा एक करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट का दावा किया गया है। बोर्ड ने इन दावों की जांच करने के लिए कहा है. जीएसटी व्यवस्था में बदलाव के दौर में एक करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट बकाए का दावा करने वाली 162 कंपनियां अब कर प्रशासन की जांच के दायरे में है. कर प्रशासन की जांच के बाद ही तय होगा कि इन कंपनियों के दावे सही हैं या नहीं. जुलाई में अपना पहला जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के साथ ही कंपनियों ने बकाया दावा के लिए ट्रान-1 फॉर्म भी दाखिल किया था. इन कंपनियों ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) के तहत 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाए का दावा किया था. भारी भरकम दावों के मद्देनजर बोर्ड के सदस्य महेंद्र सिंह ने पत्र में कहा था कि जीएसटी व्यवस्था की संक्रमण अवधि का बकाया तभी भुगतान किया जाएगा जब यह कानून के तहत मान्य होगा. सीबीईसी ने कहा कि गलती से या गलतफहमी में अयोग्य बकाया दावे किए जाने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है. एक करोड़ रुपये से अधिक के क्रेडिट के दावों की तय समय सीमा में जांच होनी चाहिए. बोर्ड ने मुख्य आयुक्तों को कहा है कि इन 162 कंपनियों के दावों पर 20 सितंबर तक एक रिपोर्ट दें. सीबीईसी ने जीएसटी प्रणाली के तहत सिर्फ योग्य दावों को ही आगे बढ़ाया जाना सुनिश्चित करने के लिए फील्ड ऑफिसरों से कहा है कि वे नये दाखिल रिटर्न को पुरानी व्यवस्था के तहत दाखिल रिटर्न से मिलाएं. उन्हें यह भी जांचने के लिए कहा गया है कि ये दावे जीएसटी कानून के तहत योग्य हैं या नहीं. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह तक कुल 59.97 लाख करदाताओं में से 70 प्रतिशत ने जुलाई का रिटर्न दाखिल कर दिया था. इससे सरकार को जीएसटी के तहत 95 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. हालांकि इनमें से 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक का पिछले कर क्रेडिट का दावा कंपनियों ने किया है.]]>