<![CDATA[देश के कमजोर आर्थिक आंकड़ों से केंद्र सरकार के माथे पर बल पड़ने लगा है और अब आर्थिक विकास को गति देने के उपायों पर माथापच्ची होने लगी है। इसी क्रम में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मशविरे के बाद आर्थिक विकास तेज करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बुधवार को कहा, 'जो भी आर्थिक आंकड़े हैं, हमने उनकी समीक्षा की है। सरकार जरूरत पड़ने पर और उपाय करेगी।' उन्होंने इन उपायों की डीटेल नहीं दिया, लेकिन कहा कि प्रधानमंत्री के साथ चर्चा के बाद ही इनकी जानकारी दी जाएगी। विकास दर तीन साल में सबसे कम अप्रैल-जून 2017 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ तीन साल में सबसे कम 5.7 पर्सेंट हो गई थी। इसके बाद वित्त वर्ष 2018 के जीडीपी अनुमान में अर्थशास्त्रियों ने कटौती की है। जानकारों का कहना है कि आर्थिक विकास दर को बढ़ाने के उपाय किए जाने चाहिए। जेटली ने कहा, 'हमने सभी आर्थिक आंकड़ों की समीक्षा की है और पिछले दो दिनों में मैंने कई सहयोगी मंत्रियों, सचिवों और सरकार में दूसरे एक्सपर्ट्स के साथ बातचीत की है।' जेटली ने कहा कि यह प्रोएक्टिव सरकार है। इससे संकेत मिला है कि जल्द ही केंद्र कुछ उपायों का ऐलान कर सकता है। अर्थव्यवस्था सालभर से कमजोर हो रही है उन्होंने बताया, 'हमने आर्थिक सुधारों का एक अजेंडा बनाया है। साथ ही, जरूरत पड़ने पर हम हमेशा कदम उठाते रहे हैं। हम लगातार आर्थिक सुधारों की राह पर बढ़ रहे हैं।' 1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किए जाने और उससे पहले नोटबंदी की वजह से जून तिमाही में आर्थिक विकास दर कमजोर रही। हालांकि, कुछ जानकारों का कहना है कि सालभर पहले से ही अर्थव्यवस्था में कमजोरी आ रही थी। अप्रैल-जून 2016 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.9 पर्सेंट थी। उसके बाद की तिमाहियों में यह क्रमश: 7.5 पर्सेंट, 7 पर्सेंट, 6.1 पर्सेंट और हालिया तिमाही में 5.7 पर्सेंट रही। महंगाई काबू में जेटली जी का यह कहना कि महंगाई दर रिजर्व बैंक के 4 पर्सेंट के लक्ष्य के अंदर है। अगस्त में रिटेल इन्फ्लेशन 3.36 पर्सेंट के साथ पांच महीने में सबसे अधिक थी। वित्त मंत्री ने बताया कि मॉनसून सीजन में आमतौर पर सब्जियों की कीमत बढ़ती है। इस वजह से पिछले महीने महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई महंगाई दर 3.36 पर्सेंट है। इसका मतलब यह है कि पारंपरिक भारतीय पैमानों के हिसाब से यह नियंत्रण में है। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा 4 अक्टूबर को करेगा। इस बीच आर्थिक विकास दर में तेजी लाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की मांग जोर पकड़ सकती है। नहीं घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमत के बावजूद देश में पेट्रोल, डीजल के अधिक दाम के बारे में सवाल करने पर जेटली ने कहा कि सरकार को विकास कार्यों के लिए फंड की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार खर्च घटाएगी तो विकास दर में और कमी आ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि जो राजनीतिक दल पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी की मांग कर रहे हैं, उन्हें पहले उन राज्यों में इन पर टैक्स कम करना चाहिए जहां उनकी सरकार है]]>