<![CDATA[पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद सरकार आर्थिक सुधारों से संबंधित कुछ बड़े और कड़े फैसले लेगी, जिसमें सबसे बड़ा होगा श्रम कानूनों में सुधार। इसके तहत कंपनियों को उत्पादन कार्य को हिसाब से कर्मचारियों की छंटनी करने की छूट मिलेगी। इसके अलावा सरकार 5 सेक्टरों में एफडीआई नियमों में छूट देने जा रही है। इसमें प्रिंट मीडिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करना शामिल है। साथ ही, रिटेल में विदेशी निवेश की शर्तों में ढील दी जा सकती है, जिसके तहत विदेशी निवेश वाले फूड स्टोर में होम केयर प्रॉडक्ट रखने की इजाजत भी दी जा सकती है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 5 राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद अगले कुछ हफ्ते इकनॉमिक रिफार्म के मद्देनजर काफी हलचल भरे रहने वाले हैं। इन आर्थिक सुधारों से जुड़े कदमों की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। सरकार इन कदमों का ऐलान चुनावी नतीजों के बाद करेगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इन सुधारों पर चुनावी नतीजों का कोई असर नहीं होगा। सरकार ने पहले ही इनके बारे में रूपरेखा तैयार कर दी थी। चुनाव के आचार संहिता के कारण इन फैसलों को अभी तक टाला गया। इंडस्ट्री और मजदूर संगठनों के साथ तालमेल सूत्रों के अनुसार, आर्थिक सुधार से जुड़े कदमों को लेकर उद्योगों और मजदूर संगठनों के लोगों के साथ बातचीत हो चुकी है। हालांकि, मजदूर संगठनों ने लेबर रिफॉर्म को लेकर कुछ आशंकाएं जाहिर की हैं। सरकार इन आशंकाओं को दूर करते हुए अंतिम फैसला लेगी। श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय का कहना है कि हमारे लिए मजदूरों के हित सर्वोपरि हैं। ऐसे में हर फैसले में उनके हितों का ध्यान रखा जाएगा। लेबर रिफॉर्म के तहत सरकार की 44 श्रम कानूनों को 4 आसान लेबर कोड में बदलने की योजना है। नए कानूनों के तहत छोटी फैक्ट्रियों के कानून के जरिये 14 से कम कर्मचारियों के लिए यूनियन बनाना मुश्किल हो जाएगा और 300 तक कर्मचारियों वाली कंपनियों में बिना अनुमति छंटनी हो सकेगी।]]>