भूमि अधिग्रहण, भूमि सुधार और श्रम संहिता की बाधाओं पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी होगा। इसके अलावा, निजी निवेश को बढ़ावा देने, निर्यात को बढ़ाने की जरूरत है। एनबीएफसी में बढ़ते एनपीए और नकदी संकट जैसी वित्तीय क्षेत्र की परेशानियों को दूर करने की आवश्यकता है। सड़कों, रेलवे और शहरी बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने के साथ बजटीय आवंटन में और वृद्धि कर सार्वजनिक निवेश बढ़ाए जाने पर जोर होना चाहिए।
यदि उपभोग की मांग और निवेश चक्र को बढ़ाया जाता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ेगी। बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए किसी भी घोषणा या स्पष्ट रोडमैप के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण से बाजार सहभागियों का विश्वास बढ़ेगा।
यदि वित्त मंत्री आयकर छूट की सीमा को कम से कम 3 लाख रुपये तक बढ़ाने पर विचार करते हैं और कंपनियों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) को समाप्त करते हैं, तो इससे करदाताओं के हाथों में अधिक नकदी बचेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने कर प्रोत्साहन को समाप्त कर दिया है और कॉर्पोरेट कर की दर में कमी केवल कुछ टर्नओवर वाली कंपनियों तक सीमित कर दी गई है।
इसके अलावा, LTCG कर को कम करके सरकार बाजार सहभागियों के विश्वास को बहाल कर सकती है, जबकि कर्ज म्युचुअल फंड के लिए कर प्रोत्साहन बॉन्ड बाजार में प्रवाह को बढ़ावा दे सकता है। कुुुल मिला कर लोगोंं नवगठित सरकार से अर्थव्यवस्था को लेकर सबसे ज्यादा आशाएं हैं।
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