एमएसमएमई को संकट से बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने छोटे कारोबारों के लिए 5,000 करोड़ रुपये का एक संकट निधि (स्ट्रेस फंड) बनाने की सिफारिश की है।
सेबी के पूर्व अध्यक्ष यू.के. सिन्हा की अध्यक्षता वाली भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक समिति ने छोटे कारोबारों के लिए 5,000 करोड़ रुपये का एक संकट निधि (स्ट्रेस फंड) बनाने की सिफारिश की है। समिति ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर में निवेश करने वाली वीसी/पीई कंपनियों की मदद के लिए सरकार प्रायोजित एक निधि का भी सुझाव दिया है, ताकि इस खंड में निवेश के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके।
समिति का कहना है कि समिति 5,000 करोड़ रुपये के कॉर्पस वाला एक संकट संपत्ति कोष बनाने की सिफारिश करती है, जिसका ढांचा उन क्लस्टर में स्थित इकाइयों की मदद करने के लिहाज से बना हो, जहां बाहरी पर्यावरण में बदलाव, प्लास्टिक या डंपिंग पर प्रतिबंध के कारण बड़ी संख्या में एमएसएमई गैर निष्पादित संपत्तियां बन जा रहे हो।
सूत्रों के अनुसार मंगलवार को प्रकाशित आरबीआई समिति रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस कोष को टेक्सटाइल अपग्रेडेशन फंड स्कीम (टीयूएफएस) की तर्ज पर संचालित किया जा सकता है, जो कई वर्षों से अस्तित्व में है।
मुद्रा लोन डबल किया जाए
समिति का यह सुझाव भी है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत एमएसएमई, स्वयं सहायता समूहों और कर्जधारकों को मिलने वाले बिना जमानत वाले लोन को दोगुना बढ़ाकर 20 लाख रुपये तक किया जाए। समिति में सिन्हा के साथ कुल आठ सदस्य शामिल किए गए थे। रिजर्व बैंक के द्वारा इसी वर्ष जनवरी में इस समिति की स्थापना की थी। जिसका लक्ष्य एमएसएमई के मौजूदा ढांचे की समीक्षा करना और आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता के लिए दीर्घकालिक सुझाव प्रदान करना था।
PAN नम्बर काफी होना चाहिए
समिति एक सुझाव यह भी था कि एमएसएमई के लिए कई जगह रजिस्टर करने की मजबूरी की जगह सिर्फ एक परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) ही काफी हो। कर छूट या बॉन्ड के द्वारा निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया जाए ताकि एमएसएमई को उत्पाद विकास, तकनीक अपग्रेड, मार्केटिंग रणनीति जैसे कौशल को अपनाने में आसानी हो ताकि अधिक से अधिक लोग इसकी ओर आकर्षित हो सके।
इसके अलावा समित ने 10 हजार करोड़ रुपये का एक ‘फंड ऑफ फंड्स’ बनाने का सुझाव दिया है ताकि एमएसएमई सेक्टर में निवेश करने वाली वेंचर कैपिटल व प्राइवेट इक्विटी कंपनियों की मदद हो सके.
समिति ने कहा है कि ऐसा कानून होना चाहिए जो एमएसएमई सेक्टर में आने वाली सभी प्रमुख चुनौतियों जैसे बुनियादी ढांचे की अड़चन, टेक्नोलॉजी एडॉप्शन, क्षमता निर्माण, कर्ज की कमी आदि से निपट सके.
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