भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने आदेश में साफ किया है कि वीजा, मास्टरकार्ड जैसी विदेशी पेमेंट कंपनियां अपने लेनदेन को विदेश में प्रोसेस कर सकती हैं, लेकिन उन्हें डेटा 24 घंटे के भीतर भारत लाकर यहीं स्टोरेज करना अनिवार्य होगा।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल अप्रैल में अपने निर्देश में कहा था कि सभी विदेशी पेमेंट कंपनियों को अपने डेटा काे ‘केवल भारत’ में रखना होगा ताकि उन पर निर्बाध तरीके से निगरानी रखा जा सके। अब इसी पर रिजर्व बैंक ने सफाई दी हैैै।
सूत्रोंं के अनुसार रिजर्व बैंक के पिछले निर्देश के बाद ही अमेरिकी सरकार और कंपनियां इस नियम में बदलाव के लिए जबरदस्त लॉबिइंग कर रही थीं। उनका कहना था कि इस निर्देश से कंपनियों की बुनियादी ढांचे पर लागत बढ़ेगी और उनके निवेश योजनाओं को चोट पहुंचेगी।
विदेशी सिस्टम से डिलीट करना होगा डेटा
बुधवार को रिजर्व बैंक का कहना है कि वह अपने पहले के रुख पर कायम है, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट किया कि पेमेंट के ट्रांजैक्शन को देश से बाहर प्रोसेस किया जा सकता है, लेकिन उनके डेटा को देश में ही संग्रहित रखना होगा. रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि अगर कोई ट्रांजैक्शन विदेश में प्रोसेस किया जाता है तो उसके डेटा को 24 घंटे के भीतर भारत लाना होगा और विदेश स्थित सिस्टम से उसे डिलीट करना होगा.
गौरतलब है कि हाल में वाणिज्य मंत्रालय ने टेक्नोलॉजी और पेमेंट कंपनियों के साथ बैठक के बाद कहा था कि उनकी चिंताओं का समाधान रिजर्व बैंक करेगा।
भारत सरकार और अमेरिकी कंपनियों के बीच इस मामले में बने गतिरोध से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा है। भारत डेटा स्टोरेज के लिए कड़े नियम और डेटा तक आसान पहुंच चाहता है। पेमेंट कंपनियों के अलावा भी सभी कंपनियों के डेटा को भारत स्थानीय स्तर पर भी स्टोरेज चाहता है।
रिजर्व बैंक ने बीते साल अप्रैल में पेमेंट कंपनियों से लोकल सर्वर पर अपना डेटा सुरक्षित रखने के लिए कहा था, जिसके अनुपालन के लिए 6 महीने की डेडलाइन भी तय की गई थी। इस डेडलाइन के बीतने के बावजूद वीजा और मास्टरकार्ड सहित कई विदेशी कंपनियां ऐसा करने में नाकाम रही हैं।
विदेशी कंपनियां आम तौर पर ग्लोबल सर्वर्स पर डेटा स्टोर करती हैं और स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोर करने के लिए उन्हें अतिरिक्त निवेश करना होगा। सरकार का मानना है कि स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोर करने से उसकी निगरानी और जरूरत करने पर जांच में मदद मिलेगी।
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