वर्तमान वित्त वर्ष खत्म होने को है ऐसे स्थिति में टैक्स सेविंग व वित्तीय मदद के लिए बीमा पॉलिस सहायक हो सकती हैं। आगर आपने अभी तक टैक्स सेवर नहीं खरीदे हैं तो इन इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स पर विचार करें। अगले वित्त वर्ष से अगर आप नई टैक्स व्यवस्था चुनते हैं तो टैक्स बचाने को लेकर इंश्योरेंस की प्रासंगिकता खत्म हो सकती है। चूकि आप भी उन लोगों में हैं जो अपनी टैक्स देनदारी घटाने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं? इस वित्त वर्ष में अगर आपने अब तक टैक्स सेवर नहीं खरीदे हैं तो इन इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स पर विचार करें। बहरहाल जानकार कहते हैं कि इंश्योरेंस केवल टैक्स बचाने के मकसद से नहीं खरीदना चाहिए। मौजूदा टैक्स सिस्टम में लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम खरीदने पर कई तरह की टैक्स छूट मिलती है। इनकम टैक्स कानून, 1961 में कई प्रावधान हैं जिनके तहत आप टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। आइए जानें इनके बारे में।
लाइफ इंश्योरेंस और टैक्स टैक्स लाभ
सेक्शन 80C
मौजूदा टैक्स सिस्टम में आप एन्डाउमेंट, होल लाइफ, मनी बैक, टर्म इंश्योरेंस और यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी) जैसी इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम के भुगतान पर सेक्शन 80सी के तहत आप डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। हालांकि, इस सेक्शन के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर ही टैक्स छूट मिलती है। इसके अतिरिक्त अधिक टैक्स लाभ नहीं लिया जा सकता है।
सेक्शन 80CCC के तहत लाभ
सेक्शन 80सीसीसी के तहत लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के ऐन्युइटी प्लान के लिए पे की जाने वाली रकम पर छूट मिलती है। इस सेक्शन के तहत टैक्स डिडक्शन की सीमा 1.5 लाख रुपये है। यह सेक्शन 80सी और 80सीसीडी के तहत छूट में शामिल है। यानी इन तीनों सेक्शन को मिलाकर इनके तहत 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त टैक्स छूट नहीं ली जा सकती।
विशेषज्ञों के अनुसार ‘पेंशन प्लान्स के अमूमन दो हिस्से होते हैं। ऐक्युमुलेशन फेज और विदड्रॉल या पेआउट फेज। पॉलिसी मैच्योरिटी डेट तक आप जो प्रीमियम देते हैं, उसमें से कुल रकम का 60% आप एकमुश्त ले सकते हैं। बाकी की रकम नियमित पेंशन के तौर पर आपको मिलती है।’
ऐक्युमुलेशन फेज में टैक्स का फायदा मिलता है। इस फेज में आप प्रीमियम का पेमेंट करते हैं, जिसपर आप सेक्शन 80CCC के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। डिडक्शन की सीमा 1.5 लाख रुपये तक है। वहीं विदड्रॉल फेज में एकमुश्त राशि का एक तिहाई टैक्स-फ्री होता है। बची हुई रकम को या तो एकमुश्त या रेगुलर पेंशन के तौर पर दिया जाता है। इसे उस साल की इनकम माना जाता है. इस पर करदाता को टैक्स देना पड़ता है.
सेक्शन 10 (10D )
इनकम टैक्स के इस सेक्शन के तहत लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी या इसे सरेंडर करने या इंश्योर्ड व्यक्ति की मौत हो जाने पर मिलने वाली रकम (सम अश्योर्ड) और बोनस पूरी तरह टैक्स फ्री हैं। यह एग्जेम्पशन सेक्शन 10 (10D) के तहत मिलता है।
हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स में फायदे
सेक्शन 80D के तहत
1- इस सेक्शन में लाइफ पार्टनर, बच्चों और अपने लिए प्रिवेंटिव हेल्थकेयर चेकअप की कॉस्ट के साथ हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए आप 25,000 रुपये तक डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
2-अगर माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं तो 50,000 रुपये तक एक्स्ट्रा डिडक्शन पा सकते हैं बशर्ते माता-पिता सीनियर सिटिजन हों। अगर टैक्सपेयर और उसके माता-पिता दोनों की उम्र 60 साल से ज्यादा है तो मेडिक्लेम पॉलिसी पर 1 लाख रुपये तक डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इस तरह आप अपना टैक्स क्लैम कर टैक्स छूट पा सकते हैं।
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