<![CDATA[नोटबंदी से पहले आईएमएफ ने पिछले वित्त वर्ष में भारत की विकास दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत का लगाया था, जिसे नोटबंदी के बाद जनवरी में घटाकर उसने 6.6 प्रतिशत कर दिया था। आईएमएफ ने कहा कि है कि 2017 में चीन की विकास दर 6.6 प्रतिशत रहेगी जो साल 2018 में 6.2 प्रतिशत हो जाएगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को भारत को 2016-17 की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा वापस दे दिया। आईएमएफ ने अपने सालाना वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक में कहा कि भारत की ग्रोथ 2017-18 के लिए 7.2 प्रतिशत और उसके अगले वित्त वर्ष में 7.7 प्रतिशत हो जाएगी। नोटबंदी से पहले आईएमएफ ने पिछले वित्त वर्ष में भारत की विकास दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत का लगाया था, जिसे नोटबंदी के बाद जनवरी में घटाकर उसने 6.6 प्रतिशत कर दिया था। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जनवरी में आईएमएफ ने भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान 1 प्रतिशत घटा दिया था, जो चीन की 6.7 प्रतिशत के ग्रोथ रेट के अनुमान से कम था। आईएमएफ ने इसकी वजह नोटबंदी के कारण नकदी की कमी से हुई नाकारात्मक खपत और भुगतान में होने वाली परेशानियों को बताया था। उसने इसी कारण 2017-18 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को 0.4 प्रतिशत घटाते हुए इसे 7.2 प्रतिशत रखा था। हालांकि आईएमएफ का अनुमान 2016-17 के लिए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा अनुमानित 7.1 प्रतिशत की वृद्धि से अभी भी कम है। मंगलवार को आईएमएफ ने चालू और अगले वित्त वर्ष के लिए भारत पर अपने पूर्वानुमान को बरकरार रखते हुए कहा कि मध्यम अवधि में विकास की संभावनाएं सकारात्मक हैं। साथ ही जरूरी सुधार, सही वित्तीय और मौद्रिक नीतियों और मुश्किलों को दूर करने से विकास के पूर्वानुमान में मध्यम सुधार के कार्यान्वयन के कारण ग्रोथ रेट 8 प्रतिशत तक जा सकती है। आईएमएफ ने 2017 के लिए ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान 0.1 प्रतिशत अंक बढ़ाते हुए इसे 3.8 प्रतिशत पर बताया, लेकिन अमेरिका के लिए अनुमान 2.3 प्रतिशत पर रखा है। इसके अलावा यूरोपीय संघ (ईयू) के लिए उसने अपना अनुमान 0.1 प्रतिशत अंक बढ़ाते हुए इसे 1.7 प्रतिशत रखा है। आईएमएफ ने कहा कि है कि 2017 में चीन की विकास दर 6.6 प्रतिशत रहेगी जो साल 2018 में 6.2 प्रतिशत हो जाएगी। बता दें कि नोटबंदी के बाद फरवरी में भारत सरकार ने ग्रोथ रेट का आंकड़ा उम्मीद से ज्यादा 7.1 फीसदी का जारी किया था। लेकिन सरकार के इन आंकड़ों पर कई जानकारों ने संदेह जताया था। उनका कहना था कि इसमें नोटबंदी के पूरे असर को नहीं दिखाया गया है।]]>