बैंक डिपोजिट (Bank Deposit), सेविंग्स करने के सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक तरीकों में से एक है। फिक्स्ड डिपोजिट (FD) और रेकरिंग डिपोजिट (RD), फिक्स्ड रिटर्न और पैसे की सुरक्षा के कारण, भारतीयों के लिए दो सबसे लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट ऑप्शन (Investment option) हैं। मौजूदा कोविड-19 वैश्विक महामारी और अन्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कारकों के कारण इस साल फाइनेंसियल मार्केट (Financial Market) में मंदी छाई हुई है।
कौन सा आप्सन सही
कोराना काल के अनिश्चित समय में कई इनवेस्टर्स, रिस्क-परहेजी हो गए हैं और FD और RD जैसे कम-रिस्की ऑप्शन में इंवेस्ट कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-मई-जून में बैंक FD में 6.1 लाख करोड़ रु. की बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा अनिश्चितता के दौरान और इमरजेंसी फंड्स तैयार करने के लिए FD और RD, एकदम सही इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बन गए हैं, ऐसा कहना है BankBazaar.comके CEO आदिल शेट्टी का।
FD क्या है?
FD एक सेविंग्स स्कीम है जिसमें आप एक संस्थान जैसे एक बैंक या कंपनी में एक फिक्स्ड टेन्योर के लिए एक लम्प सम अमाउंट इनवेस्ट कर सकते हैं। यह आपके द्वारा उस संस्थान को दिया गया एक तरह का कर्ज है। इसके बदले में, आपको सेविंग्स अकाउंट से ज्यादा रेट पर इंटरेस्ट मिलता है। टेन्योर के अंत में, डिपोजिटर को इंटरेस्ट के साथ डिपोजिट अमाउंट वापस मिल जाता है। यह कुछ समय के लिए सेविंग्स करने और रिटायर्ड लोगों के लिए सुनिश्चित इंटरेस्ट जनरेट करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। इसमें क्यूमुलेटिव या नॉन-क्यूमुलेटिव दो तरह के ऑप्शन होते हैं। क्यूमुलेटिव ऑप्शन में, समय-समय पर मिलने वाला इंटरेस्ट अमाउंट भी इन्वेस्ट हो जाता है जिससे प्रिंसिपल अमाउंट के साथ-साथ इंटरेस्ट अमाउंट पर भी इंटरेस्ट मिलने लगता है जबकि नॉन-क्यूमुलेटिव ऑप्शन में डिपोजिटर को हर महीने, हर तीन महीने पर या हर साल इंटरेस्ट अमाउंट दे दिया जाता है।
RD क्या है?
RD में लम्प सम या वन-टाइम इन्वेस्टमेंट (One Time Investment) नहीं करना पड़ता है। बल्कि, इसमें एक फिक्स्ड टेन्योर तक हर महीने एक फिक्स्ड अमाउंट इन्वेस्ट करना होता है। इससे सेविंग्स की आदत भी पड़ती है और बच्चों की पढ़ाई, घूमने, या कार खरीदने जैसे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पैसे जुटाने में भी मदद मिलती है। इसमें इन्वेस्टेड अमाउंट और इंटरेस्ट दोनों मैच्योरिटी के समय वापस मिलता है।
कहां करें इनवेस्ट
डिपोजिट के लिए इनवाइट करने वाले किसी भी बैंक, पोस्ट ऑफिस, या कंपनी में FD किया जा सकता है। RD, बैंक या पोस्ट ऑफिस में किया जा सकता है। आप जरूरी दस्तावेजों के साथ ब्रांच जाकर खाता खोल सकते हैं। अगर आपके पास कुछ जरूरी साजोसामान हो तो आप ये अकाउंट ऑनलाइन भी खोल सकते हैं, आप इंटरनेट पर ही एक अकाउंट ओपनिंग फॉर्म भरकर इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं।
टेन्योर
मियादी जमा खाता और आवर्ती जमा खाता, दोनों में फाइनल रिटर्न पर टेन्योर का काफी असर पड़ता है। यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करेंगे तो जाहिर है कि आपका रिटर्न बढ़ेगा। यदि निवेश की अवधि कम चुनेंगे तो उसी हिसाब से रिटर्न की रकम घट जाएगी। इसलिए, हर ऑफर के टेन्योर ऑप्शंस को समझना जरूरी है। आमतौर पर FD का टेन्योर 7 दिन से 10 साल तक और RD का टेन्योर 6 महीने से 10 साल तक होता है।
कितने का निवेश हो
बैंक या डाकघर में कोई भी खाता खुलवाने के लिए मिनिमम अमाउंट तय है। FD और RD दोनों का मिनिमम इन्वेस्टमेंट अमाउंट अलग-अलग बैंक में अलग-अलग होता है। देखा गया है कि कम-से-कम 1,000-5,000 रुपये से एक FD खाता और कम-से-कम 10 रुपये की मासिक बचत से एक RD खाता खोला जा सकता है। इनके लिमिट्स के बारे में ज्यादा जानकारी आप अपने आसपास के बैंक की शाखा या डाकघर से ले सकते हैं।
ब्याज दर क्या है
इन दोनों ऑप्शंस के इंटरेस्ट रेट्स, टेन्योर पर आधारित और एक जैसे होते हैं। FD का इंटरेस्ट रेट 2.35-10% होता है। RD का इंटरेस्ट रेट 4-8% होता है। सीनियर सिटिज़न्स के लिए इंटरेस्ट रेट थोड़ा अधिक, आम तौर पर 25-50 बेसिस पॉइंट्स अधिक होता है। FD का इंटरेस्ट समय-समय पर (हर महीने, हर तीन महीने पर या हर साल) या टेन्योर के अंत में मिलता है। जबकि RD का इंटरेस्ट, टेन्योर के अंत में प्रिंसिपल अमाउंट के साथ मिलता है। पूरे टेन्योर के दौरान इंटरेस्ट रेट स्थिर होने के कारण FD और RD दोनों में गारंटीड रिटर्न मिलता है।
समय से पहले क्लोजिंग
FD में एक लम्प सम इन्वेस्टमेंट करना होता है इसलिए इसमें इंस्टालमेंट डिले पेनाल्टी नहीं लगती है लेकिन RD में लगती है। अलग-अलग बैंक में यह पेनाल्टी अलग-अलग होती है जो 10-1000 रु. तक होती है। FD और RD अकाउंट को समय से पहले बंद किया जा सकता है लेकिन इसके लिए इंटरेस्ट पर एक पेनाल्टी देनी पड़ती है। इस तरह की पेनाल्टी और प्रीमैच्योर क्लोजर चार्ज के बारे में जानने के लिए अपने फाइनेंसियल इंस्टिट्यूशन के नियम एवं शर्तें पढ़ें।
आयकर
इनकम टैक्स संबंधी नियम, FD और RD दोनों के लिए एक समान हैं। एक फाइनेंसियल इयर में 40,000 रुपये की ब्याज राशि से अधिक होने पर, FD या RD दोनों पर TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) लगता है। इनके इंटरेस्ट पर आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है लेकिन एक सीनियर सिटिज़न के मामले में, एक साल में 50,000 रुपये तक के इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स नहीं लगता है।
किसमें करें इन्वेस्ट
FD या RD में, अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों के अनुसार, इन्वेस्ट करें। जो रिस्क-परहेजी हैं और मॉडरेट रिटर्न जनरेट करने वाला ऑप्शन ढूंढ रहे हैं उनके लिए ये दोनों ऑप्शन अच्छे हैं। FD में इन्वेस्ट करके आप एक फिक्स्ड रिटर्न हासिल कर सकते हैं। RD, हर महीने रेगुलर सेविंग्स करने में मदद करता है। एक बार में पैसा इन्वेस्ट होने के कारण FD में ज्यादा रिटर्न मिलता है जबकि RD में धीरे-धीरे पैसे जमा होने के कारण थोड़ा कम इंटरेस्ट मिलता है। ये दोनों ऑप्शन एक फाइनेंसियल इमरजेंसी में काफी मददगार साबित होते हैं क्योंकि इनके बदले, डिपोजिट वैल्यू का 90% तक, लोन लिया जा सकता है। इसलिए यह दोनों ही आप्सन बहुत बढिया निवेश हो सकते हैं।