स्वयं का घर हो यह सभी की अभिलाषा होती है। परन्तु बढ़ती महंगाई व अन्य व्यय के कारण कई लोगों को किराये के घरों में रहने पर विवस होना पड़ता है। वहीं, कई लोगों को इस बात को लेकर भी असमंजस कि स्थिति रहती है कि उनके लिए किराये के घर में रहना अच्छा है कि स्वयं का घर लेकर उसकी ईएमआई देना उचित है।
घर का किराया या अपने घर की मासिक किस्त देना दोनों विकल्पों में बड़ा अंतर होता है। पहले विकल्प में आप किराए के घर में केवल पैसा दे रहे होते हैं लेकिन दूसरे विकल्प में आप पैसा चुकाने के साथ ही अपने स्वयं के घर में रह रहे होते हैं या फिर योजना के तहत भविष्य में निवास करेगे। कोविड-19 ने सुरक्षा की दृष्टि से लोगों में स्वयं का घर लेने की होड़ मचा लगा दी है। लेकिन किसी के लिए भी कब-कैसे और किस समय पर घर लेना उचित है, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। यह लेने वाले की वित्तीय स्थिति पर भी निर्भर करता है। आइए जानते हैं कि स्वयं के घर के लिए मासिक किस्त देना या किराये के घर में रहना, कौन सा विकल्प आपके लिए अधिक महत्वपूर्ण है।
कम ब्याज दर
पिछले छह माह से कोविड-19 के डर से घर से काम कर रहे नौजवानों में स्वयं का घर खरीदने की चाह बढ़ रही है। कुछ आंकड़ों के अनुसार 65 प्रतिशत कामकाजी किराएदार अगले तीन माह में अपना स्वयं का घर लेना चाह रहे हैं। ब्याज दरों में कमी इसका एक सबसे बड़ा कारण है । आरबीआई द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के बाद होम लोन की दरों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। जिससे लोगों का रूझान अपने स्वयं के मकान के लिए बढ़ा है।
लोगों की सोच बदली
सबसे बड़ा करण एक यह भी है कि डेवलेपर्स भी घरों को बहुत ही कम दामों में बेच रहे हैं। ऐसे में घर की इच्छा रखने वालों के पास अपने बजट के अनुसार निर्माणाधीन परियोजनाओं के चक्कर में पड़ने के बजाय सीधे तौर पर घर में जाकर रहने का बड़ा सुनहरा अवसर मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के कारण लोगों के घर खरीदने की सोच में बड़ा बदलाव आया है। पहले वे इसके लिए अधिक विचार करना पड़ता था लेकिन अब वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए वे अपने घर की की आवश्यकता को अनुभव कर रहे हैं ।
पीएम आवास योजना
एक कारक जो इस समय लोगों को घर लेने के लिए उत्साहित कर रहा है। वो है प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) की समय सीमा में विस्तार। केन्द्र सरकार ने इस योजना का लाभ उठाने के लिए इसकी समयाविधि में एक साल की बढ़ोतरी कर दी है। इसका सीधा अर्थ यह है कि जिनकी सालाना आय 6 से 18 लाख रुपये है वे 31 मार्च 2021 तक इसमें 2.38 लाख रुपये तक की ब्याज सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। पहली बार अपना घर लेने वालों के लिए यह अच्छा समाचार है। आमतौर पर घर की ईएमआई की रकम मासिक किराये की तुलना में ज्यादा होती है। खुद के घर के लिए 20 फीसदी डाउन पेमेंट और 80 फीसदी की लोन लेने की स्थिति में बैंक लोन से ज्यादा ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। इसलिए किराये के घर या अपार्टमेंट में रहना घर की मासिक किस्त जमा करने की तुलना में अधिक आरामदायक लगने लगता है।
ईएमआई एवं किराये का गणित समझे
जब आप लोन पर घर खरीदते हैं तो आप पर उसके चुकाने की भी जिम्मेदारी आ जाती है। इसे एक रियल एस्टेट प्रोपर्टी के माध्यम से समझाने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए वर्तमान में संपत्ति का बाजार का मूल्य 50 लाख रुपये है। कोई इस संपत्ति को खरीदने या किराए पर लेने का निर्णय कैसे लेगा। पहले किराये की सोच से समझते हैं। यदि कोई इस संपत्ति को किराए पर लेना चाहता है तो वह 12 से 14 हजार रुपये प्रति महीने चुकाएगा। यह लागत 11 महीने बाद बढ़ जाएगी। इसलिए हो सकता है कि उसे किराये को बनाए रखने या हर साल लगभग 5-10 फीसदी की बढ़ोतरी से बचने के लिए हर साल एक अलग स्थान पर शिफ्ट होना पड़ सकता है। हालांकि उसके वेतन में भी वृद्धि होगी परन्तु मुद्रास्फीति उसे हर साल किराए का घर बदलने पर विवस करेगी। लेकिन यदि वह अपना घर लेता है तो उसे बार-बार घर बदलने के लिए विवस नहीं होना पड़ेगा साथ ही स्वयं का घर हो जाएगा। वस एक बार अपनी इच्छा शक्ति का प्रबल करने की आवश्यकता है।