आरबीआइ की नई व्यवस्था से छोटे उद्यमियों को 25 लाख रुपये तक का लोन दिया जा सकेगा। एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों को हाल ही में यह लाभ मिलने जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में छह करोड़ एमएसएमई कार्यरत हैं। इनमें से लाखों उद्यमी अकेले ही अपने बूते पर कारोबार चला रहे हैं। ये सभी माइक्रो या सूक्ष्म उद्यमी की श्रेणी में आते हैं। अब आरबीआइ की नई व्यवस्था से मुख्य रूप से इन सूक्ष्म उद्यमियों को लाभ मिलेगा। एमएसएमई अगले 31 मार्च तक पूरी तरह से सरकारी गारंटी वाले कर्ज भी ले सकते हैं जिसकी घोषणा पिछले वर्ष मई में की गई थी।
आरबीआइ के नए प्रविधान के मुताबिक बैंक अपने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में से एमएसएमई को 25 लाख रुपये तक के कर्ज दे सकते हैं। बैंकों को एक निश्चित अनुपात में आरबीआइ के पास नकद (कैश) रखना होता है। इस पर उन्हें ब्याज भी नहीं मिलता है।
आरबीआइ की नई व्यवस्था से बैंक एमएसएमई को उस रिजर्व कैश में से कर्ज दे सकेंगे और उस कर्ज पर ब्याज मिलने से बैंकों को कमाई भी होगी। हालांकि एक उद्यमी को 25 लाख रुपये से अधिक का कर्ज नहीं मिल सकेगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल मीडियम इंटप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज का कहना है कि इस नई व्यवस्था से बैंक आसानी से 25 लाख रुपये तक का कर्ज एमएसएमई को दे सकेंगे। हालांकि यह राशि काफी कम है। उल्लेखनीय है कि MSME सेक्टर में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। इस वजह से सरकार इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कदम उठाती है। इसी को देखते हुए यह सरकार के द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है।