आत्म निर्भर बनने की ऐसी गाथा जो कुलदीप चौधरी ने सही साबित कर दी। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कि अपनी कहानी स्वयं लिखते हैं। जैसे कि ये युवा कुलदीप चौधरी, जो कि संघर्षों में तप-तप कर कुंदन हुए हैं। कुलदीप के दादा जी संयुक्त परिवार में विश्वास रखते थे, जिसमें घर चलाने के लिए दादा की पेशंन ही थी। कुलदीप कहते हैं कि हमने अपने पिता को बचपन में ही खो दिया था। हमारा परिवार बहुत बड़ा था और आय का साधन सिर्फ दादाजी की पेंशन हुआ करती थी। लेकिन फिर भी दादाजी ने दादा और एक पिता की जिम्मेदारी बखूबी निभाई और हमारे लालन- पोषण और हमारी पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज उन्हीं के लालन-पालन और सपोर्ट के कारण मैं यहां तक पहुंच पाया हूं।
सफलता का देख परिवार गर्व करता है
काफी सघर्षों के बाद कुलदीप ने 2017 में स्वयं का स्टार्टअप “सक्सेस स्टेयर्स ग्रुप” को शुरू किया, जो युवाओं को जॉब प्रदान करवाने में सहायता करता है। इसके साथ ही इन्होंने इसमें “एमबीए स्टार्टअप” नाम से एक स्टार्टअप प्रोग्राम भी प्रारंभ किया है जो युवाओं को जॉब देने के साथ-साथ उनकी पर्सनैलिटी डेवलपमेंट को इमप्रूव करने में भी सहायता प्रदान करता है। इसके साथ ही वो ग्रेजुएशन के स्टूडेंट्स को भी प्रशिक्षण देने का काम करते हैं ताकि वह जब अपनी पढ़ाई पूर्ण करें तो वह अपने जॉब के अनुसार पूर्ण रूप से सक्षम हों, जिससे जॉब प्रोवाइडर उनका सलेक्शन तुरंत कर लेता है। वर्तमान में उनके “सक्सेस स्टेयर्स ग्रुप” के माध्यम से व उनके मार्गदर्शन में कई युवा काम कर रहे हैं। इसके साथ ही उनके प्रयासों से हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। उनकी इस सफलता को देखकर उनका परिवार उन पर गौरवान्वित महसूस करता है।
आत्मनिर्भर बनने की मिली प्रेरणा
कुलदीप कहते हैं कि जब उन्होंने सन 2010 में अपनी हायर सेकेंडरी शिक्षा पूर्ण की तभी अपनी जिंदगी का गोल सेट कर लिया था कि उन्हें सीए बनना है। इसके लिए बाहर जाना चाहते थे। किंतु घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें यह निर्णय बदलना पड़ा। वें कहते हैं कि यह वह समय था जब मुझे मेरे दादाजी की सबसे अधिक आवश्यकता थी, लेकिन वास्तविकता में उन्हें मेरी अधिक आवश्यकता थी क्योंकि वह काफी वृद्ध हो चुके थे। इसी समय मैंने निर्णय लिया कि मैं अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए उनके साथ ही रहूँ और होशंगाबाद के ग्राम सुकतवा में शासकीय महाविद्यालय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में एडमिशन लिया, जिसमें मैंने बी कॉम की पढ़ाई की। कुछ समय बाद मैं बीकॉम में भी अपनी खास रुचि नहीं दिखा पा रहा था। मैंने इस बात का ज़िक्र अपने दादाजी से किया, और उन्हें अपनी दिल की बात बताई कि मुझे लाइफ में कुछ बड़ा करना है। मैं मेरी और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारना चाहता हूं। तभी दादाजी ने मुझे यह मंत्र दिया कि तुम यहा रह कर आत्मनिर्भर नहीं बन पाओगे, यदि तुम परिवार के लिए कुछ करना चाहते हो तो पहले आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। इसलिए तुम भोपाल चले जाओ, ताकि तुम सक्षम बन सको और स्वयं के साथ अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी उठा सको। तुम जानते ही हो परिवार बहुत बड़ा है और मुझे सभी का ध्यान रखना है। तुम्हारे हर निर्णय में मेरा सहयोग हमेशा रहेगा और दादा जी के मार्गदर्शन के बाद मैंने भोपाल जाने का निर्णय लिया। कुछ समय बाद अपने 2 जोड़ी कपड़े लेकर भोपाल चला आया। वे वर्तमान में पीएचडी कंप्लीट करने में लगे हुए हैं।
हमें मेहनत करने से पीछे नहीं हटना चाहिए
जब मैं एक छोटे से गांव से भोपाल आया तो यहा सफलता प्राप्त करना बहुत कठिन था। कुलदीप को एक बीपीओ कंपनी में दोस्त की सहायता से काम मिल गया। जहां उन्हें प्रतिमाह ₹24०० मिलते थे। इतने बड़े शहर में इतने कम वेतन के साथ जीवन यापन करना बहुत कठिन था, इसलिए एक वर्ष बाद कुलदीप ने निर्णय लिया कि वह वापस अपने गांव चला जाएगा। लेकिन दादा जी को उनका वापस आना सही नहीं लगा। क्योंकि कुलदीप अपनी नौकरी छोड़ कर आया था और उसे पिछले एक वर्ष में कुछ विशेष प्राप्त नहीं हुआ था। जिसके कारण वह विचलित रहता था। दादाजी ने कुलदीप को विचलित देख समझाया कि कभी-कभी जो हम चाहते हैं हमें वैसी सफलता नहीं मिलती, लेकिन कभी मेहनत करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। जब कुलदीप ने दादाजी की सेवा करने के बारे में कहा तो उन्होंने निर्णय लिया कि वह मेरे साथ ही भोपाल चलेंगे और मेरा करियर बर्बाद नहीं होने देंगे और वह मेरे साथ 2013 में भोपाल आ गए। इसके बाद कुलदीप ने जॉब जॉइन की और कुछ महीनों बाद उसे प्रमोशन मिला और अच्छी सैलरी भी मिलने लगी। 2014 में स्नातक पूर्ण करने के बाद आगे कुछ बड़ा करने की चाह में रात में जॉब करता था और दिन में एमबीए की पढ़ाई। लेकिन एमबीए की डिग्री लेने के बाद एक बार फिर समस्या सामने खड़ी थी कि उन्हें कही भी फुलटाईम जॉब नहीं मिल पा रही थी। कुलदीप कहते हैं कि एमबीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने छः माह में 22 कंपनियों में इंटरव्यू दिया और 22 कंपनी ने मुझे रिजेक्ट किया। यह रिजेक्शन ने ही उन्हें हर बार प्रयास करने की प्रेरणा दी। इसी से प्रेरणा लेकर ही कुलदीप ने जॉब मिलने में आने वाली प्रॉब्लम को समझ कर युवाओं को नियोक्ता कंपनी के अनुसार तैयार होने के लिए एक स्टार्टअप शुरू किया। यह ग्रुप वर्तमान में बहुत ही अच्छे तरीके से काम कर रहा है और युवाओं को एक सफल करियर कैसे बनाया जाए, उसी के अनुसार उन्हें करियर बनाने का प्रशिक्षण भी दे रहा है।