भोपाल। अमेरिका में महंगाई (US Inflation) थमने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक की सारी कोशिशें फेल होती हुई नजर आ रही हैं। सितंबर के महीने में महंगाई दर (Inflation Rate) एक बार फिर से बाइडन सरकार और केंद्रीय बैंक के अनुमान से अधिक रही है। अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली है और ये 40 वर्ष के रिकॉर्ड हाई स्तर पर पहुंच गई है। इस कारण से घरेलू और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उछाल आया है और लोगों का खर्च बढ़ गया है। महंगाई के आंकड़े को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal) एक बार फिर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।
सबसे हाई 1982 के बाद
अमेरिकी के श्रम विभाग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कोर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (Consumer Price Index) एक वर्ष पहले की तुलना में 6.6 प्रतिशत बढ़ा है। यह वर्ष 1982 के बाद का सबसे हाई लेवल पर है। अगस्त माह की तुलना में सितंबर माह में कोर CPI 0.4 प्रतिशत बढा और अब महंगाई दर 8.2 प्रतिशत पर जा पहुंची है। अगस्त माह में यह आंकड़ा 7.8 प्रतिशत रहा था। कोर CPI में फूड और एनर्जी शामिल नहीं है। सितंबर माह में व्हीकल इंश्योरेंस (Vehicle Insurance), हाउसहोल्ड फर्निशिंग्स (Home Furnishing) महंगा हुआ है। वहीं यूज्ड कार और कपड़ों की कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है।
ब्याज दरों (Interest Rate) का खास असर नहीं हुआ
उल्लेखनीय है कि अमेरिका में पालतू जानवरों की देखभाल से लेकर डेंटल विजिट जैसी सर्विस लगातार महंगी होती जा रही है। सितंबर माह में फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की बढ़ौतरी की थी। कोर महंगाई के हाई लेवल पर पहुंचने से इस बात के संकेत नजर आ रहे हैं कि फेडरल बैंक ने जो पहले ब्याज दरें बढ़ाई हैं, उसका असर कुछ खास नहीं हुआ है।
फिर से हो सकती है बढ़ौतरी
अपको बता दे कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2 प्रतिशत तक महंगाई के आने का लक्ष्य रखा है। लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। बढ़ती महंगाई के कारण से माना जा रहा है कि नवंबर माह में होने वाली बैठक में फेडरल रिजर्व एक बार फिर से ब्याज दरों में बढ़ौतरी कर सकता है।
यहा यह बात उल्लेखनीय है कि ब्याज दरों में यह बढ़ौतरी न केवल अमेरिका, बल्कि दुनियाभर पर असर डालता है। निवेशकों के निर्णय रातों-रात फेड रिजर्व के एक निर्णय से बदल जाते हैं। दुनियाभर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल मच जाती है, जो हालात को और बिगाड़ने वाले साबित हो रहे हैं। अमेरिका में इस महंगाई के कारण आने वाले समय को लेकर अनिशचित्ता बनी हुई है।