भोपाल। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए इस समय मिलाजुला समय देखा जा रहा है। जहां देश की जीडीपी के आंकड़े लगातार उत्साह भर रहे हैं वहीं ग्लोबल परिस्थितियां देश के लिए चुनौती का माहौल भी बना रही हैं। ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां और वित्तीय संस्थान भी इस साल के लिए भारत की आर्थिक विकास दर (जीडीपी) का अच्छा अनुमान दे रहे हैं और ये इस बात का संकेत हैं कि देश की जीडीपी 7 प्रतिशत से ज्यादा रह सकती है।
क्यों बढ़ाया भारत की जीडीपी का अनुमान
फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 7।2 प्रतिशत कर दिया है। मार्च में उसने इसके सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। रेटिंग एजेंसी ने कंज्यूमर स्पेंडिंग में रिकवरी और निवेश में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए जीडीपी एस्टीमेट में संशोधन किया।
फिच की ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट की खास बातें
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि निवेश में बढ़ोतरी जारी रहेगी लेकिन हाल की तिमाहियों की तुलना में यह बढ़ोतरी धीमी रहेगी।
कंज्यूमर्स का भरोसा बढ़ने के साथ कंज्यूमर खर्च में सुधार होगा।
चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में परचेजिंग मैनेजर्स के सर्वे के आंकड़े लगातार बढ़ोतरी की ओर इशारा करते हैं।
आने वाले मानसून के मौसम के सामान्य रहने के संकेत इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देंगे और महंगाई को कम अस्थिर बनाएंगे।
फिच ने कहा कि हाल ही में भीषण गर्मी ने जोखिम पैदा किया है जिसके चलते खास सेक्टर्स पर दबाव भी आएगा।
आने वाले सालों के लिए कैसा है ग्रोथ का अनुमान
फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिए फिच ने क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत की ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है। फिच ने अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा, “हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत की मजबूत बढ़ोतरी होगी।”
RBI से मिलता जुलता फिच का अनुमान
ध्यान रहे कि फिच का अनुमान आरबीआई के अनुमान के मुताबिक है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस महीने की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि ग्रामीण मांग में रिकवरी और महंगाई दर में नरमी से चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। बीते वित्त वर्ष यानी साल 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8।2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।