<![CDATA[RIL-BP मिल कर 40,000 करोड़ रुपये का केजी-डी6 फील्ड में करेगी निवेश रिलायंस इंडस्टीज और ब्रिटेन की उसकी सहयोगी बीपी ने अपने केजी-डी6 में गैस फील्ड विकास कार्यक्रम फिर से शुरू करने के लिये 40,000 करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया है . आठ साल के अंतराल के बाद निवेश की घोषणा की गयी है. दोनों कंपनियों ने को-ब्रांडेड पेट्रोल पंप लगाने की संभावना तलाशने के साथ संयुक्त रूप से विमान ईंधन के विपणन समेत परंपरागत और गैर-परंपरागत ईंधन के क्षेत्र में अवसर तलाशने के लिये रणनीतिक सहयोग की भी घोषणा की. रिलायंस इंडस्टीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और बीपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बाब डुडले ने करीब 3000 घन फुट संसाधन के विकास की योजना की घोषणा की ताकि 3 से 3.5 करोड़ घन मीटर अतिरिक्त गैस का उत्पादन केजी-डी6 से 2020 तथा 2022 के बीच किया जा सके. डुडले ने कहा कि बीपी गैस कीमत समेत सरकार के कई सुधारों से उत्साहित है. बीपी ने 2011 में केजी-डी6 में 30 प्रतिशत तथा आरआईएल के अन्य ब्लाक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिये 7.2 अरब डालर खर्च किया था. उन्होंने कहा कि बीपी-आरआईएल केजी-डी6 ब्लाक में आर श्रृंखला के गैस फील्ड पर प्रगति पर सहमत हुए और दोनों 6 अरब डालर (40,000 करोड़ रुपये) निवेश करेंगी. इस गैस परियोजना से देश की आयात पर निर्भरता 10 प्रतिशत कम हो जाएगी. संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अंबानी ने कहा कि कई साल बाद आरआईएल-बीपी 40,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी. उन्होंने कहा कि नया एवं ऐतिहासिक सहयोगे ईंधन तथा कार्बन उत्सर्जन कारोबार के क्षेत्र में अवसर तलाशेगा. लंबित मध्यस्थता के संदर्भ में अंबानी ने कहा कि आरआईएल इसे निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिये कानूनी रास्ता अपनाएगा. उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि लंबित मध्यस्थता से हमारा नया निवेश प्रभावित होगा. रिलायंस इंडस्ट्रीज सरकार के साथ चार मध्यस्थता मामले में फंसी है. इसमें एक मामला केजी-डी6 के कुछ गैस फील्ड की लागत वसूलने से कंपनी को सरकार का इनकार है. इसका कारण गैस उत्पादन लक्ष्य से कम रहना है. दूसरा मध्यस्थता का मामला प्राकृतिक गैस की कीमत वृद्धि को टालने से संबद्ध है जो कंपनी को एक अप्रैल2014 से मिलना था. ताजा मध्यस्थता का मामला सरकार द्वारा अनुचित रूप से ओएनजीसी की गैस का उत्पादन करने को लेकर रिलायंस तथा उसके सहयोगियों से 1.55 अरब डालर मुआवजे की मांग है]]>