सरकार ने बैंकिंग सिस्टम में सुधार के लिए बड़े कदम उठाए हैं। जिसके अर्तंगत वित्त मंत्री ने 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा की है। बैंकों के विलय के बाद बैंकों की कई ब्रांच बंद होंगी और नई ब्रांच खुलेंगी। बैंकों के विलय का असर इन बैंकों के ग्राहकों पर भी होगा। 10 सरकारी बैंकों के विलय से खाताधारकों पर कोई असर नहीं होगा लेकिन उनका थोड़ा काम जरूर बढ़ जाएगा। इस फैसले से आम ग्राहकों को कई काम करने पड़ सकते हैं।
वित्त मंत्री का कहना था कि सरकारी बैंकों का 88 फीसदी बिजनेस इन कंसॉलिडेटेड बैंकों के साथ है। क्षेत्रीय बैंकों के मजबूत कामकाज को देखते हुए इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक अपना कामकाज पहले की तरह करते रहेंगे। 2017 में 27 सरकारी बैंक थे। अब सरकारी बैंकों की संख्या सिर्फ 12 रह गई है। देश को 5 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इस प्रकार के परिर्वतन की आवश्कता देखी जाने लगी इस लिए यह कदम उठाया गया है।
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा ?
(1) ग्राहकों को नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी दिया जा सकता है।
(2) जिन ग्राहकों को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड मिलेंगे, उन्हें नए डीटेल्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरंस कंपनियों, म्यूचुअल फंड, नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) आदि में अपडेट करवाना होगा।
(3) SIP या लोन EMI के लिए ग्राहकों को नया इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है।
(4) ग्राहको को बैंक के द्वारा चेकबुक, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड इशू किया जा सकता है।
(5) फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) या रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी) पर मिलने वाले ब्याज में कोई बदलाव नहीं होगा।
(6) जिन ब्याज दरों पर व्हीकल लोन, होम लोन, पर्सनल लोन आदि लिए गए हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा।
(7) कुछ बैंक शाखाएं बंद हो सकती हैं, इसलिए ग्राहकों को नई शाखाओं में जाना पड़ सकता है।
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