केंद्र सरकार कॉरपोरेट टैक्स के बाद कंपनियों को एक और राहत दे सकती है। दरअसल, निवेश को प्रोत्साहन के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता पर बने कार्यबल ने लाभांश वितरण कर (डीडीटी) खत्म करने की सिफारिश की है। सूत्रों के मुताबिक, कार्यबल ने कहा है कि डीडीटी टैक्स पर टैक्स है और यह विदेशी निवेश के प्रवाह में रुकावट पैदा करता है।
किसी घरेलू कंपनी को सकल लाभांश पर 15 फीसदी लाभांश वितरण कर देना पड़ता है। सरचार्ज और सेस मिलाकर यह टैक्स 20.35 फीसदी हो जाता है। कुल टैक्स पर 12 फीसदी अधिभार और तीन फीसदी शिक्षा उपकर लगता है। सूत्रों के मुताबिक, इस कर को हटाए जाने से सरकार को राजस्व का नुकसान बेहद मामूली होगा, क्योंकि शेयरधारकों द्वारा चुकाए गए कर से इसकी भरपाई हो जाएगी। नई प्रत्यक्ष कर संहिता मौजूदा आयकर कानून की जगह लेगी। इससे जुड़े कार्यबल ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट सौंप दी है, जिस पर मंथन चल रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार इस बारे में फेसला लेगी।
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