<![CDATA[ मुखौटा (शेल) कंपनियों की कथित रूप से मदद करने को लेकर कम-से-कम 26 चार्टर्ड अकाउंटेंट इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की जांच के घेरे में हैं। इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है की । आईसीएआई चार्टर्ड अकाउंटेंट की रेग्युलेटरी बॉडी है और गड़बड़ी करने वाले सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है। मुखौटा कंपनियों से कथित संबंध के संदर्भ में 26 चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका की आईसीएआई जांच कर रहा है।' सरकार कालाधन की समस्या से निपटने के तहत मुखौटा कंपनियों के खिलाफ लगातार कदम उठा रही है। इस क्रम में कई इकाइयां विभिन्न एजेंसियों की जांच के घेरे में आई हैं, इसमें गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) शामिल हैं। बता दें कि बीते दिनों पीएम मोदी ने भी आईसीएआई के कार्यक्रम में इस बात का शक जताया था कि नोटबंदी के दौरान कुछ सीए ने फर्जी कंपनियों की मदद की थी। अनुशासनात्मक कार्रवाई सूत्रों का कहना है की एसएफआईओ की तरफ से 26 चार्टर्ड अकाउंटेंट के नाम आएं हैं और उनके बारे में विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है। आईसीएआई नियमों के उल्लंघन को लेकर कड़ी अनुशासनात्मक कार्वाई कर सकता है। इसमें निलंबन तथा पंजीकरण तक रद्द किया जाना शामिल हैं। मुखौटा कंपनियां संदिग्ध्य इकाइयां होती हैं जिनका उपयोग अवैध कोष को सफेद बनाने में किया जाता है। गौरतलब है कि सरकार की कई एजेंसियां एक साथ चार्टर्ड अकाउंटेंट पर शिकंजा कसने की तैयारी में हैं। सरकार ने 37,000 शेल कंपनियों की पहचान की है, इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आईसीएआई द्वारा की जा रही जांच इसी की कड़ी है? इसके जवाब में आईसीएआई के पूर्व प्रेजिडेंट उत्तम अग्रवाल कहते हैं, 'आईसीएआई एक इंडिपेंडेंट बॉडी है, जिसे संसद ने ताकत दी है कि वह इन्फॉर्मेशन केस हो या कंप्लेन केस, प्रॉसिडिंग करती है और सुओमोटो प्रॉसेस में डॉक्यूमेंटल एविडेंस होने पर दोषी पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करती है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। हमनें सत्यम मामले से लेकर कई अन्य मामलों में में दोषी चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर ऐक्शन लिया। हालांकि उसके बाद वे कोर्ट में गए।' देश के हजारों चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर शेल कंपनियों के कालेधन को सफेद करने का आरोप है और जैसा कि कहा जा रहा है 11 सालों में सिर्फ 25 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को ही सजा मिली है। एेसा कैसे संभव होता है? इसके जवाब में सीए भावना दोशी कहती हैं, 'यह आंकड़ा सही नहीं है और दूसरी बात यह है कि शेल कंपनियों की ऑडिट सीए ने की है तो वह सिर्फ इसलिए दोषी करार नहीं दिया जा सकता। अगर किसी सीए ने शेल कंपनी इनकॉरपोरेट की है और अकाउंट फाइल नहीं हुए हैं तो वह दोषी हो सकता है। आईसीएआई ने पूरे जूडिशल प्रॉसेस के हिसाब से हमेशा से कार्य किया है और दोषियों को बख्शा नहीं है।]]>