अर्थव्यवस्था में नया जोश भरने के ल‍िए एक महीनेे में पांच कदम

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सुस्त पड़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए सरकार ने एक महीने के भीतर पांच बड़े कदम उठाए हैं। सुधार के इन कदमों की शुरुआत बीती 23 अगस्त को हुई थी, जबकि देशी-विदेशी निवेशकों को राहत देते हुए कर उपकर में बढ़ोतरी का फैसला वापस लिया था। जो क‍ि इस प्रकार है।
पहला – सरचार्ज से राहत
बीती 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी और घरेलू निवेशकों पर उपकर में बढ़ोतरी का फैसला वापस लेने की घोषणा की थी। उसी दिन बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की नई पूंजी देने, रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को तुरंत देने जैसी घोषणा की गई थी।
दूसरा- कोयला व मीड‍िया मेंं व‍िदेशी न‍िवेश

28 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था से जुड़ी दूसरी बड़ी घोषणा की थी। सीतारमण ने कोयला खदान और कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी थी। यही नहीं, गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए चीनी के निर्यात पर 6,268 करोड़ की सब्सिडी का ऐलान भी किया। डिजिटल मीडिया में भी प्रिंट मीडिया की तरह 26 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिली थी।
तीसरा – बैंक विलय
30 अगस्त को ही सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को मिला कर चार बैंक बनाने की घोषणा की थी। उस समय कहा गया था कि विलय के बाद ये बैंक न सिर्फ आकार में बड़े होंगे बल्कि इनका कुल कारोबार भी बढ़ कर 55.81 लाख रुपए करोड़ का हो जाएगा। बड़े बैंक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी बैंकों से मजबूती से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
चौथा – आसान कर्ज
बीते 19 सितंबर को वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंक अभी से अक्टूबर तक 400 जिलों में लोन बांटने के लिए शामियाना बैठक का आयोजन करेंगे। इन बैंठकों में खुदरा ग्राहक के साथ साथ नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) की भी उपस्थिति होगी।
पांचवां – कॉरपोरेट कर घटाया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घरेलू कंपनियों और नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए अध्यादेश के जरिए कॉरपोरेट कर घटाने की घोषणा की।

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